खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों की वजह से आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है। इसको लेकर अब केंद्र सरकार भी एक्शन मोड में आ गई है। यही वजह है कि खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण सचिव ने राज्यों के अधिकारियों के साथ बैठक की है। इस बैठक में एक साथ कई अहम आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क में भी कटौती की गई है। क्या दिए गए आदेश: आधिकारिक बयान के मुताबिक थोक और खुदरा विक्रेताओं को अपने परिसर में खाद्य तेल की कीमतों को प्रदर्शित करना होगा। इसके अलावा थोक विक्रेताओं, मिल मालिकों को अब अपने पास उपलब्ध तिलहन और खाद्य तेलों के स्टॉक का खुलासा करना होगा। वहीं, पारदर्शिता और बेहतर निगरानी के लिए सभी मिल मालिक और थोक विक्रेता एक पोर्टल पर डेटा जमा करेंगे। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण सचिव ने बताया कि रबी के आगामी मौसम में तिलहन का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। इससे खाद्य तेलों की कीमतों में भी कमी आने की उम्मीद है। वहीं, स्टॉक का खुलासा करने से अनुचित व्यवहारों और जमाखोरी आदि पर रोक लगेगी। बता दें कि पिछले एक साल में देश में खुदरा खाद्य तेल की कीमतें 41 से 50 फीसदी तक बढ़ी हैं।
सरकार का एक और फैसला: बता दें कि सरकार ने खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में कमी लाने के लिए पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क में कटौती की है। वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को देर रात जारी एक अधिसूचना में कहा कि कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क को 10 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर इसे 7.5 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया है। यह अधिसूचना शनिवार से प्रभावी हो गई है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी.वी. मेहता ने पीटीआई-भाषा को बताया कि कर शुल्क में की गई इस कमी के साथ कच्चे पाम तेल, कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर प्रभावी शुल्क घटकर 24.75 प्रतिशत रह जाएगा, जबकि रिफाइंड पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर प्रभावी शुल्क 35.75 प्रतिशत होगा। उन्होंने कहा कि नए सिरे से की गई कटौती से खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में 4-5 रुपये प्रति लीटर की कमी आ सकती है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर यह भी देखा जाता है कि भारत के आयात शुल्क को कम करने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ जाती हैं, इसलिए खाद्य तेल कीमतों पर इस कटौती का वास्तविक प्रभाव दो से तीन रुपये प्रति लीटर का रह सकता है। क्या खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को और कम करने की योजना है, इस पर सरकार की ओर से बयान दिया गया है कि कीमतों के व्यवहार का विश्लेषण करने के बाद इस बात का फैसला किया जाएगा।
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