कांड्रा: हरिश्चंद्र विद्या मंदिर स्कूल की संपत्ति को गलत तरीके से ट्रस्ट बनाकर हड़पने के मामले को लेकर कांड्रा वासियों में जबरदस्त नाराजगी देखी जा रही है. सोमवार को पूरे कांड्रा में इसकी चर्चा होती रही. लोग चौक- चौराहों गलियों और नुक्कड़ों पर इसी मुद्दे पर चर्चा करते सुने गए. हर जुबान पर बिल्डर सह कांग्रेसी नेता द्वारा किए गए फर्जीवाड़ा को लेकर घोर नाराजगी देखी गई. लोग अब विरोध की रणनीति बनाने में जुट गए हैं.


बता दें कि हरिश्चंद्र विद्या मंदिर महज एक स्कूल ही नहीं बल्कि कांड्रा और आसपास के ग्रामीणों के युवाओं के लिए एक आस्था का केंद्र भी है. भले आज सरायकेला ग्लास फैक्ट्री बंद हो गयी उसके कर्मी दाने- दाने को मोहताज होकर कुछ दुनिया से चले गए कुछ अपने उम्र के अंतिम पड़ाव पर पहुंच गए हैं मगर आज भी उनकी संवेदनाएं यहां के मिट्टी से जुड़ी हैं. इस स्कूल से हजारों बच्चे पासआउट होकर देश- विदेश में नौकरी कर रहे हैं. अचानक से हुए इस फर्जीवाड़े से सभी सदमे में हैं और इस फर्जीवाड़े के विरोध में गोलबंद होने लगे हैं. सबसे ज्यादा पीड़ा स्थानीय लोगों को इस बात की है कि तथाकथित डायरेक्टर जितेंद्र नाथ मिश्रा के इशारे पर स्कूल में लगे कई हरे भरे विशाल पेड़ों को काट दिया गया.
क्या है पूरा मामला जानें
आरोप है कि कांग्रेस नेता और बिल्डर जितेंद्र मिश्रा ने स्कूल के शिक्षकों और कुछ स्थानीय लोगों के साथ मिलकर फर्जी हस्ताक्षर कर नए ट्रस्ट का गठन कर लिया और स्कूल में दावेदारी ठोक दी. जिसके बाद स्कूल के संस्थापक स्व. हरिश्चंद्र वार्ष्णेय के पौत्र राजकुमार वार्ष्णेय ने डीसी एवं एसपी को आवेदन देकर मामले की जांच कर इंसाफ की गुहार लगाई गई. मालूम हो कि हरिश्चंद्र विद्या मंदिर की स्थापना स्व. हरिश्चंद्र वार्ष्णेय ने 1945 में की थी. कंपनी के पास करीब 60 एकड़ जमीन है, जिसमें से 43 एकड़ जमीन की नीलामी हो चुकी है. बाकी 17 एकड़ जमीन पर स्कूल, सामुदायिक भवन, खेलकूद का मैदान और अस्पताल है. आरोप है कि जितेंद्र मिश्रा ने फर्जी ट्रस्ट बनाकर स्कूल हथियाने की कोशिश की है. आवेदन में जितेंद्र नाथ मिश्रा, तारा देवी, टीएन मिश्रा, आयुष कुमार मिश्रा, जगन्नाथ मिश्रा उर्फ जुगनू मिश्रा, करमचंद मंडल, सुकू हांसदा, अजीत कुमार शर्मा और रजत कुमार के नाम का जिक्र है.
सारे प्रमाण हैं हमारे पास जरूरत पड़ने पर दिखाऊंगा: जितेंद्र नाथ मिश्रा
खुद पर लगे आरोपो को कांग्रेसी नेता ने सिरे से खारिज किया है. जितेंद्र नाथ मिश्रा ने बताया कि 52 बच्चों के अभिभावक, स्कूल के शिक्षक और बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव पारित करने के बाद डीसी ने ट्रस्ट को मंजूरी प्रदान की है. उन्होंने कहा कि राजकुमार वार्ष्णेय द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद और निराधार हैं. जब भी जरूरत पड़ेगी सारे दस्तवेज़ों के साथ उपस्थित रहूंगा.
बड़ा सवाल
अब सवाल ये उठता है कि आखिर जितेंद्र नाथ मिश्रा ही क्यों ? क्या कांड्रा में कोई ऐसा समाजसेवी या धनाढ्य नहीं था जो स्कूल को संचालित कर सकता था. वार्ष्णेय परिवार आज भी जिंदा है और वे सक्षम हैं तो ट्रस्ट में उनके सदस्यों को क्यों नहीं रखा गया. जिन लोगों को ट्रस्ट में रखा गया है वे कौन हैं और उनका स्कूल में क्या योगदान है क्या इसकी जांच नहीं होनी चाहिए ? ऐसे कई सवाल हैं जो कांड्रा में हुए इस फर्जीवाड़े पर सवाल खड़े कर रहे हैं. वैसे इस मामले में जांच शुरू कर दी गई है. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है. अब देखना यह है कि जांच में क्या सच सामने आता है और इस मामले में कौन- कौन दोषी पाए जाते हैं.
