जमशेदपुर: पूर्वी जमशेदपुर विधानसभा क्षेत्र सहित पूरे जमशेदपुर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर हेम सिंह बागान एरिया सहित आसपास की अनेक बस्तियों के लोगों ने एक पब्लिक पिटीशन गुरुवार को झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजनल पदाधिकारी राम प्रवेश प्रसाद को दिया.

इस पत्र में लोगों ने लिखा है कि टाटा स्टील लिमिटेड कंपनी ने अपने कारखाने के अंदर पूर्वी छोर पर न्यू कालीमाटी रोड 407 स्टैंड के पीछे करीब साल भर से पत्थर डस्ट प्रदूषण फैलाना शुरू किया है. जहां से प्रदूषण फैलाया जाता है वह बड़ा भूखंड न्यू कालीमाटी रोड स्थित हेम सिंह बागान की बस्तियों से 5 मीटर की दूरी पर है. बस्ती और प्रदूषण स्थल के बीच में सिर्फ टाटा स्टील की एक चार दीवारी है. इससे पूरा प्रदूषण इन बस्तियों में जाता है. इसके अलावा टाटा स्टील के प्रदूषण वाले भूखंड के तीन तरफ आवासीय इलाके हैं. जिनमें टुइलाडुंगरी, रिफ्यूजी कॉलोनी, बंगाली कॉलोनी, नेहरू कॉलोनी, गुरुद्वारा बस्ती, गाढ़ाबासा, केबुल कॉलोनी, केबुल बस्ती, गोलमुरी, टाटा स्टील के अनेक जीएफ फ्लैट, एनएमएल कॉलोनी वगैरह अनेक बस्तियां और मोहल्ले मौजूद हैं. यहां की लाखों की आबादी टाटा स्टील का यह नया प्रदूषण झेल रही है. टाटा स्टील कारखाने के अंदर इस बड़े भूखंड पर टाटा स्टील पत्थर की गिट्टी लाकर अनलोड करती है. फिर जेसीबी के माध्यम से उसे डम्पर में लोड कर अन्यत्र ले जाती है. इस क्रम में पत्थर की धूल से भयंकर प्रदूषण होता है. बस्तियों में खड़ी कारें, पेड़ पौधों के पत्ते एवं छत पर सूखते कपड़े इस बात के गवाह हैं कि डस्ट प्रदूषण काफी अधिक और घातक है. सब जानते हैं कि पत्थरों की यह धूल मनुष्य के फेफड़े के लिए अत्यंत हानिकारक है. इस धूल के कारण टीबी के अलावा न्यूमोकोनियोसिस और सिलिकोसिस जैसे नोटीफाएबल रोग होते हैं.
पत्र में अनुरोध किया गया है कि टाटा स्टील लिमिटेड का उक्त घातक प्रदूषण बंद करवा कर बस्तियों के लाखों लोगों के स्वास्थ्य के साथ किया जाने वाला खिलवाड़ बंद कराने की कृपा करें. इस संबंध में झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदित्यपुर कार्यालय में रीजनल ऑफिसर राम प्रवेश प्रसाद ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि टाटा स्टील के उस हिस्से में डस्ट प्रदूषण हो रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि टाटा स्टील ने यहां गिट्टी को अनलोड और लोड करने की अनुमति भी उनसे नहीं ली है. उन्होंने तत्काल इस मामले की जांच करने का आदेश अपने अधीनस्थ पदाधिकारी को दिया. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि मामले में विभाग कार्रवाई करती है या अन्य मामलों की तरह इस गंभीर मामले को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है.
