सरायकेला Report By Pramod Singh राज्य के गरीब एक बार फिर अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. सरकार की ओर से गरीबों को जिस गुणवत्ता वाली कंबल का वितरण किया गया है वह गुणवत्ता जांच के पैमाने पर खरा नहीं उतर पा रहा है. सरकार की ओर से गरीबों को 70 फीसदी ऊन से बने कंबल दिए जाने की बात कही गई थी जिसका वजन करीब ढाई किलो और धोने के बाद 2 किलो तक होने की बात कही गई थी.
किंतु गरीबों के बीच सरकार द्वारा जिस कंबल का वितरण किया गया है वह गुणवत्ता जांच के पैमाने पर फिसड्डी साबित हो रहा है. एक बार फिर से गरीब अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं.
धोने के बाद कंबल का वजन मात्र डेढ़ किलो
भीषण ठंड को देखते हुए जिले के गरीबों के बीच सरकार की ओर से कंबल का वितरण किया जा रहा है. सरायकेला अंचल के अंचलाधिकारी भोला शंकर महतो द्वारा कंबल की गुणवत्ता जांच की गई तो इसमें सरकार द्वारा बताई गई गुणवत्ता के अनुसार काफी अंतर पाया गया. कंबल में 70 फीसदी ऊन की मात्रा होने की बात कही गई थी किंतु कंबल में ऊन की मात्रा कम और सिंथेटिक मटेरियल की मात्रा अधिक पाई गई. इसके साथ ही कंबल के धोने के बाद उसका वजन डेढ़ किलो के करीब पाया गया जो कि सरकार द्वारा बताई गई गुणवत्ता के विपरीत पाया गया. सीओ द्वारा अपना जांच प्रतिवेदन को उपायुक्त को सौप दिया गया है.
कंबल लेने के समय नहीं किया गया जांच
सरकार द्वारा जिले को आवंटित कराए गए कंबल को जिले में उतारने से पहले उसकी गुणवत्ता जांच करने का निर्देश दिया गया था. किंतु जिले में कंबल लेने से पूर्व उसकी गुणवत्ता जांच नहीं की गई और कंबल ले लिया गया. बाद में जब कंबल की गुणवत्ता जांच की गई तो उसमे काफी अंतर पाया गया.
सरकार ने बनाई थी जांच कमिटी
राज्य में कंबल वितरण को लेकर पानीपत की कंपनी ओम शक्ति टेक्सटाइल कंपनी को टेंडर दिया गया था. टेंडर के तहत कंबल की गुणवत्ता पर जोर दिया गया था. सरकार द्वारा आवंटित कंबल की गुणवत्ता जांच को लेकर एक कमिटी का गठन भी किया था.
किसी भी योजना को लेकर सरकार को प्रदर्शित रखनी चाहिए: चंपाई सोरेन
कंबल वितरण मामले में हुई हेर- फेर को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री सह सरायकेला विधायक चंपाई सोरेन ने कहा कि किसी भी जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर सरकार को पारदर्शिता रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कंबल मामले पर बहुत बात उठ चुका है. सरकार को चाहिए कि जिसको सम्मान दिया जा रहा है उसे उच्च स्तर की सामग्री उपलब्ध करवाई जाए.
बाईट
चंपाई सोरेन (पूर्व मुख्यमंत्री)