कांड्रा (Bipin Varshney) सरायकेला जिले के कांड्रा स्थित नीलांचल आयरन एंड पावर लिमिटेड कंपनी के कामगार गणेश मंडल मंगलवार नाइट शिफ्ट में कार्य कर सुबह अपने घर पहुंचा. घर पहुंच कर गणेश मंडल ने अपनी पत्नी को तबीयत खराब होने की बात कही. इस पर उसकी पत्नी ने तत्काल उसे ईएसआई अस्पताल पहुंचाया. वहीं गणेश मंडल का ईएसआई कार्ड चालू नहीं होने पर परिजन उसे आदित्यपुर स्थित मेडिट्रिना अस्पताल इलाज कराने ले गए. जहां इलाज के क्रम में कामगार गणेश मंडल की मौत हो गई.
इधर शनिवार सुबह त्रिपक्षीय वार्ता हुई जिसमें परिजनों की ओर से एक नौकरी और 25 लाख रुपया की मांग की गई, लेकिन वार्ता विफल रहा. उसके बाद परिजनों ने अस्पताल से गणेश मंडल के शव को लाकर कंपनी गेट के सामने रख 25 लाख रुपए मुआवजा और एक स्थाई नौकरी की मांग करते हुए गेट जाम कर दिया. वहीं परिजन ग्रामीणों के साथ अपनी मांग रखते हुए कंपनी के अंदर बी सिफ्ट के कामगारों को अंदर नहीं जाने दिया. गेट जाम की सूचना पर कांड्रा थाना प्रभारी अपने दल बल के साथ पहुंचे और सभी को समझाने का प्रयास किया.
इस संबंध में जब प्रबंधक से जानकारी ली गई तो उन्होंने इसे एक नैचुरल डेथ बताया एवं उन्होंने कहा कि कम्पनी में सभी का पिछली बार मेडिकल जांच करवाया गया था जहां गणेश मंडल का ब्लड प्रेशर हाई था. जिसका डॉक्टरों की सलाह पर दवा चल रहा था. वहीं जब उनके परिजनों द्वारा सूचना मिली कि उसका ई एस आई कार्ड अपडेट नहीं है एवं उसका ईलाज ई एस आई से नहीं हो रहा है जिस कारण उसका ईलाज मेडिट्रीना अस्पताल में करवाया जा रहा है जिस कारण ईलाज हेतु 2लाख रुपया दिया कि जरूरत है. जहां कम्पनी प्रबंधक ने तत्काल 1.50 लाख रुपया दिया एवं दूसरे दिन 50हजार रुपया दे दिया गया. वहीं ईलाज सफलता पूर्वक डॉक्टरों द्वारा कर दिया गया लेकिन शनिवार अहले सुबह वे नहीं रहे. जिस कारण कम्पनी उसके नौकरी के बदले उसके आश्रित को नौकरी एवं श्राद्ध कर्म हेतु कम्पनी के नियमानुसार 11हजार रुपए देगी. वहीं परिजनों का आरोप है कि यदि इसका ई एस आई कार्ड अपडेट रहता तो गणेश मंडल का ईलाज ससमय हो जाता और आज यह घटना नहीं होती. वहीं शव रख जाम की सूचना पर उच्च अधिकारी के आदेश पर गम्हरिया थाना प्रभारी भी पहुंचे एवं वार्ता के लिए परिजनों को अपने साथ कम्पनी के अंदर ले गए. जिसमें पुलिस द्वारा पत्रकारों को वार्ता में शामिल नहीं होने दिया गया. अंत में कम्पनी प्रबंधक 4 लाख रुपया से ऊपर नहीं देने की बात कही. जब बात नहीं बनी तो परिजन बाहर आ गए एवं शव के साथ कम्पनी गेट के बाहर डटे हुए हैं.