औरंगाबाद/ Dinanath Mouar बिहार के चार लोकसभा सीट औरंगाबाद, काराकाट, जहानाबाद और पाटलिपुत्र में डेढ़ दशक से अधिक समय से अधर में लटकी और चुनावी मुद्दा बनी औरंगाबाद- बिहटा रेल लाइन के निर्माण को लेकर केंद्र सरकार को घेरने की पूरी तैयारी हो गई है. हालांकि इसे लेकर केंद्र के विपक्षी इंडी गठबंधन का कोई भी दल सीधे तौर पर मैदान में नही उतरा है, लेकिन गठबंधन के घटक दलों के नेता बिहटा- औरंगाबाद रेल लाइन संघर्ष समिति के बैनर तले मैदान में उतर आए है.
संघर्ष समिति के बैनर तले औरंगाबाद शहर के रमेश चौक से यह पदयात्रा शुरू की गई है. पदयात्रा की शुरूआत करते हुए संघर्ष समिति के मुख्य संयोजक मनोज यादव ने कहा कि पिछले 16साल सेऔरंगाबाद- बिहटा रेल लाइन निर्माण को लेकर चार लोकसभा क्षेत्र की जनता को केंद्र सरकारों द्वारा लगातार ठगने का काम किया जा रहा है. हर साल केंद्रीय बजट में इस रेल लाइन के नाम पर थोड़ी सी राशि जारी कर छल किया जा रहा है. रेल लाइन परियोजना को लेकर समिति पिछले 9 साल से संघर्ष कर रही है. और समिति के संघर्षों का ही परिणाम हैं कि 17 अप्रैल से बंद पड़े रेल लाइन का काम शुरू हो गया है. डीपीआर और सर्वे के लिए 3 करोड़ का टेंडर हुआ है. सर्वे का काम फरवरी 2023 में ही पूरा करना था लेकिन कार्य की गति धीमी होने के कारण मात्र 35 किमी. के लिए ही डीपीआर और सर्वे का काम पूरा हुआ है. हमारी मांग है कि डीपीआर और सर्वे का काम अति शीघ्र पूरा किया जाए. साथ ही रेल लाइन परियोजना के पूरे प्राक्कलन की राशि 3900 करोड़ जारी की जाए. वर्तमान में जारी मात्र 87 करोड़ की राशि से किसी भी सूरत में कार्य की गति नही बढ़ने वाली है. इसी मांग को लेकर समिति ने यह पदयात्रा शुरु की है, जिसका समापन 29 नवंबर को पूर्व मध्य रेलवे के मुख्यालय हाजीपुर में महाप्रबंधक के कार्यालय पर प्रदर्शन कर किया जाएगा. उन्हों ने यह भी कहा है कि अगर रेल लाइन परियोजना के लिए पूरी राशि जनवरी तक जारी नही की गई तो हम परियोजना से संबंधित सभी चार लोकसभा क्षेत्रों में गांव- गांव घूम कर इस चुनाव का बहिष्कार करने एवं नोटा का बटन दबाने के लिए जनसंपर्क किया जाएगा. उन्हों ने यह भी बताया कि यह मामला आज से 43 साल पहले आरा वे तत्कालीन सांसद रहे स्व. चंद्रदेव वर्मा ने की थी. उस वक्त अपने संसदीय और राजनीतिक जीवन में रेल परियोजना की मांग को विभिन्न मंचों से उठाने का काम किया था।
इसके बाद लालू प्रसाद ने आज से 16 साल पहले 16 अक्टूबर 2007 को पालीगंज में इसका शिलान्यास किया था. तब से यह रेल लाइन परियोजना अधर में लटकी है.
औरंगाबाद- बिहटा रेल लाइन परियोजना का क्षेत्र औरंगाबाद, काराकाट, जहानाबाद और पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में पड़ता है. इस रेल लाइन के बनने से पालीगंज, दुल्हिन बाजार, अरवल, कलेर, दाउदनगर, ओबरा और औरंगाबाद की करीब दो करोड़ की आबादी सीधे रेल लाइन से जुड़ेगी. इससे इस पूरे इलाके में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से विकास होगा. इस कारण यह रेल लाइन जिन इलाकों से होकर गुजरने वाली है, उन इलाकों में चुनावी मुद्दा बनने के साथ ही वोटरो को भी प्रभावित करेगी. इस पदयात्रा को उसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है।