औरंगाबाद (Dinanath Mouar) दूरदर्शन पर लंबे समय तक प्रसारित हुए मशहुर टीवी सीरियल “पीपल का पेड़” में हरिया को बेटे के मंत्री बन जाने के बावजूद मालिक की चाकरी पसंद है. यह सीरियल पूरी तरह मालिक और नौकर के संबंधों के इर्द गिर्द घूमता है. नौकर मालिक के लिए और मालिक नौकर के हित के लिए सबकुछ करता है. इस सीरियल को मालिक और नौकर के लाइफटाइम संबंध का मिसाल माना जाता है.
मालिक और नौकर के संबंध पर बने इस सीरियल के बाद इसके जोड़ का दूसरा सीरियल आजतक नही बना. हर मालिक चाहता है कि उसे हरिया जैसा नौकर मिले और हर नौकर चाहता है कि उसका मालिक बाबू साहेब जैसा हो. इस सीरियल में जो कुछ दिखाया गया है, वह सब पहले के जमाने में पूरी तरह सही था, लेकिन न नौकर हरिया जैसा है और न मालिक बाबू साहेब जैसा. नये जमाने में मालिक मजदूर का शोषण करनेवाले हो गये है और मजदूर मालिक को चूना लगाने वाले.
औरंगाबाद में भी एक ऐसी ही कहानी सामने आई है फर्क सिर्फ इतना हैं कि इसमे हरिया वाली कहानी के साथ नये जमाने वाली बात भी दिखती है. दरअसल इस कहानी की शुरुआत दो साल पहले होती है और आज यानी गुरूवार को कहानी में इंटरवल आता है. कहानी का अभी दी एंड बाकी है. इस सच्ची कहानी की शुरूआत में दो साल पहले औरंगाबाद नगर थाना के कथरूआं गांव निवासी पंचम कुमार गांव के स्व. कपिलदेव प्रजापति के पुत्र पिंटू कुमार को अपने पॉल्ट्री फॉर्म की देखरेख के लिए नौकरी पर रखता है. वह नौकर के हित का ख्याल और नौकर भी मालिक के हित का ख्याल रखने लगता है. चंद महीने में दोनो ओर विश्वास की डोर बेहद मजबूत हो जाती है. मालिक नौकर पर आंख मूंद भरोसा और विश्वास करने लगता है. नौकर भी मालिक के विश्वास और भरोसे पर खरा उतरता रहता है. पिंटू को पंचम के यहां काम करते दो साल बीत जाते है. इस दौरान दोनो के बीच कभी किसी तरह का विवाद नही होता है. सबकुछ सामान्य तरीके से चलता रहता है. इसी बीच कहानी में ट्विस्ट आता है और नौकर मालिक के विश्वास को धोखा दे डालता है. वह गुरुवार को मालिक को लाखों का चूना लगाकर फरार हो जाता है. नौकर के फरार हो जाने के बाद मालिक ने औरंगाबाद नगर थाना में आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है.
मालिक कथरुआ निवासी पंचम कुमार ने बताया कि उन्होने अपने पॉल्ट्री फॉर्म पर गांव के ही पिंटू कुमार को फॉर्म की देखरेख के लिए नौकरी पर रखा था. दो साल से काम करते हुए पिंटू ने उसपर अपना विश्वास जमा लिया. इतना ही नहीं वह मेरे पॉल्ट्री फॉर्म का हिसाब किताब भी संभालने लगा. विश्वास कर मैं रुपए पैसे भी उसी पर छोड़ दिया करता था लेकिन बीती रात वह धोखा देकर मुर्गा बिक्री के 85 हजार रुपए और बाइक लेकर फरार हो गया. इसके बाद जब छानबीन की तो पता चला कि पिंटू कथरुआ की अपनी जमीन और अपना झोपड़ीनुमा घर भी बेच चुका है. इसके बाद उसने पिंटू की काफी खोजबीन की. इसके बाद भी दोपहर तक पता नही चलने के बाद उसने नगर थाना में आवेदन देकर प्राथमिकी दर्ज करवाई है और पुलिस से कार्रवाई की मांग की है. इस संबंध में जब नगर थानाध्यक्ष से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामले की प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है. आरोपी पिंटू कुमार को उसकी तस्वीर के आधार पर तलाश की जा रही है. इसके तहत पुलिस ने अपने मुखबिरों को सक्रिय कर दिया है. इस तरह इस कहानी का फिलहाल तो इंटरवल हो गया है, लेकिन दी एंड बाकी है, जब पुलिस मामले का अनुसंधान और उद्भेदन कर करेगी. कहानी का दी एंड होने पर ही यह पता चलेगा कि क्या सच में नौकर ने मालिक के साथ धोखेबाजी की या वह वफादार था अथवा उसके साथ मालिक ने ही कुछ दगा किया, जिसके कारण नौकर ने यह धोखेबाजी की. तो इंतजार कीजिए पुलिस द्वारा मामले का उद्भेदन कर कहानी का दी एंड किये जाने का.