Saraikela:- जिले के गम्हरिया प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी कानन कुमार पत्रा पर मध्य विद्यालय रायबसा में पदस्थापित आदिवासी शिक्षिका राधी पूर्ति ने मानसिक रूप से प्रताड़ित करने एवं सेवा पुस्तिका (सर्विस बुक) खोले जाने के नाम पर पैसे मांगने का आरोप लगाया है.
इस संबंध में शिक्षिका ने आदित्यपुर थाने में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी पर एससी/ एसटी के तहत लिखित शिकायत दर्ज करायी है. दर्ज कराए गए शिकायत के आधार पर शिक्षिका राधी पूर्ति ने बताया, कि उनकी सेवा पुस्तिका दो हजार अट्ठारह उन्नीस में गुम हो गई थी.
द्वितीय सेवा पुस्तिका के लिए प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी गम्हरिया को 8 मई 2020 को सूचित करते हुए निवेदन किया गया था, उसी सिलसिले में 8 अप्रैल 2021 को गम्हरिया प्रखंड परिसर स्थित कानन कुमार पात्र के कार्यालय के कक्ष में गई थी.
अभिवादन के पश्चात करीब 2 वर्ष से लंबित सेवा पुस्तिका नहीं खोले जाने का वास्तविक कारण जब उन्होंने जानना चाहा तो प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी भड़क उठे और आक्रोशित होकर कहने लगे, कि मेरे चपरासी के माध्यम से तुम्हें बार-बार कहा जाता है.
वित्तीय सेवा पुस्तिका खोलने में जिला शिक्षा अधीक्षक से लेकर क्षेत्रीय उच्च शिक्षा निदेशक कोल्हान तक मैनेज करने के लिए मोटी राशि की जरूरत है. पैसे देने में आनाकानी एवं असमर्थता व्यक्त करती हो.
तुम आदिवासियों का खर्च ही क्या है. दिन भर हड़िया- दारु पीकर रात को सो जाते हो. मांग के अनुरूप चढ़ावा नहीं देने पर वित्तीय सेवा पुस्तिका के लिए वर्षो तक घूमती रहोगी. तुम निचले दर्जे के आदिवासी लोग मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती हो. मेरी पहुंच सचिवालय तक है.
शिक्षिका ने आगे बताया आशा के विपरीत अचानक सार्वजनिक कार्यालय में अनुसूचित जनजाति की महिला होने के नाते अनादर अपमानजनक टिप्पणी द्वेष पूर्ण एवं तंग करने वाले इस जघन्यतम कृत से मैं किंकर्तव्यविमूढ़ सी हो गई.
घर जाकर कई रातों तक मैं सो भी नहीं पाई, तथा मैं कोई निर्णय लेने की स्थिति में नहीं थी. अंततः मन को मजबूत कर न्याय की आस में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने पहुंची हूं.
वैसे इस प्रताड़ना के पीछे के कारणों को बताते हुए शिक्षिका ने बताया, कि तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन के समक्ष अपनी शिकायत मौखिक रूप से करना उसे उन्हें महंगा पड़ा है.
उन्होंने बताया, कि तत्कालीन उपायुक्त के समक्ष अपनी पीड़ा बताई थी. जिसके बाद उपायुक्त ने मौखिक रूप से प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को समस्या का निदान करने का निर्देश दिया था. लेकिन ऐन वक्त पर उनका ट्रांसफर हो गया. उसके बाद प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी ने इसे निजी खुन्नस के रूप में लेते हुए उनके साथ दुराचार शुरू कर दिया.
शिक्षिका ने बताया, कि उनके प्रताड़ना से कार्यालयों के चक्कर लगाने के क्रम में उनका गर्भपात भी हो गया है. जिसके लिए उन्होंने सीधे तौर पर प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को जिम्मेदार ठहराया है.
उन्होंने मीडिया के समक्ष प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के चपरासी द्वारा पैसे मांगे जाने के पर्याप्त सुबूत उपलब्ध होने की बात कही. उन्होंने बताया, कि जरूरत पड़ने पर जांच अधिकारियों को सारे ऑडियो क्लिप भी उपलब्ध करा दिए जाएंगे.
उधर शिक्षिका के साथ कई पूर्व शिक्षक एवं झारखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी एवं सहकर्मी शिक्षक भी मौजूद रहे. उन्होंने भी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के रवैया की कड़े शब्दों में आलोचना करते हुए आदित्यपुर थाना प्रभारी से इंसाफ की गुहार लगाई है.
उधर आदित्यपुर थाना प्रभारी राजेंद्र प्रसाद महतो ने शिक्षिका के आवेदन को गंभीरता पूर्वक अध्ययन करते हुए इंसाफ दिलाने का भरोसा दिलाया.
उन्होंने कहा, पूरे मामले का अध्ययन करने के बाद एएफएआर की प्रक्रिया की जाएगी. हालांकि उन्होंने इस को लेकर वरीय पदाधिकारियों से मशविरा किए जाने की बात कही है.
वहीं प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी कानन कुमार पात्रा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताया.
पूरे प्रकरण को उन्होंने षड्यंत्र बताया. द्वितीय सेवा पुस्तिका के सम्बंध में उन्होंने बताया कि शिक्षिका को सेवा पुस्तिका उपलब्ध करा दी गई है. दुर्व्यवहार का आरोप लगाने के तरीख और शिकायत के तारीख पर उन्होंने सवाल उठाए हैं.
आठ अप्रैल के सीसीसीटीवी फुटेज में उन्होंने सारा घटना मौजूद होने की बात कही. उन्होंने बताया कि जिले के शिक्षा विभाग में सरकारी राशि के करोड़ों के घोटाले का खुलासा करने के कारण कुछ शिक्षकों द्वारा साजिश रची जा रही है. उन्होंने हर जांच के लिए खुद को तैयार बताया.