खरसावां के रंगामाटी मैदान में रविवार को आदिवासी हो समाज महासभा जिला सरायकेला- खरसावां द्वारा कोल गुरु लाको बोदरा के पंचांग के अनुसार पारंपरिक तरीके से जोमषुईम (आदिवासी नववर्ष) 2022 मनाया गया. समाज के पुजारी ने आदिवासी समाज की सुख, शांति और समृद्वि के लिए पारंपरिक तरीके से पूजा- अर्चना की.
नव वर्ष कार्यक्रम में खरसावां, कुचाई, आमदा, बडाबाम्बों, सरायकेला, चक्रधरपुर, चाईबासा सहित विभिन्न गावों से आदिवासी समाज के लोग पहुचे. समाज की महिलाओं ने सबसे पहले तमाम अतिथियों का स्वागत पारंपरिक तरीके से किया. तत्पश्चात वाड़ंगक्षिति लिपि के जनक कोल गुरु लाको बोदरा की तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया. वही नये साल के आगमन पर हो समाज के लोगों ने मांदर व नगाडे़ की थाप पर नृत्य किया. साथ ही एक- दूसरे को नव वर्ष की बधाई दी. समाज के लोगों ने पारंपरिक व्यंजन का लुत्फ भी उठाया.
video-
जोमषुईम कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित आदिवासी हो समाज महासभा के केन्द्रीय सदस्य लाल सिंह सोय ने कहा कि आदिवासी समाज के उत्थान के लिए सभी को आगे आना होगा. भाषा- संस्कृति ही आदिवासी समाज की पहचान है. समाज को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षित होना जरुरी है. उन्होने कहा कि हर किसी को समाज के प्रति सजग और सक्रियता होना चाहिए. समाज है तो हम है, हम नही तो समाज नही है. जहां पर सामाजिक जागरूकता होगी. वहां समाज का विकास होगा. यह सामाजिक विकास के लिए काफी अहम है.
वही हो समाज के जिलाध्यक्ष सावित्री बानरा ने कहा कि आदिवासी समाज बहुत मजबूत है. संगठन समाज ही सबसे बड़ी समाज की उपलब्धि होती है. अगर हम एकत्रित रहेंगे तो हमारा शोषण कोई भी नहीं कर पाएगा और हम बिखरे रहेंगे तो हमारा शोषण होता रहेगा. जबकि हो समाज के जिला महासचिव मनोज सोय ने कहा कि समाज के उत्थान के लिए शिक्षा जरूरी है. समाज के लोग अपने बच्चों को विद्यालय जरूर भेजें. संगठन को मजबूत करने के लिए सामाजिक समरसता होनी चाहिए. समाज के उत्थान के लिए संगठित होकर एक- दूसरे की मदद करें. इस जोमषुईम कार्यक्रम में मुख्य रूप से हो समाज महासभा के केन्द्रीय सदस्य लाल सिंह सोय, जिलाध्यक्ष सावित्री कुदादा, जिला महासचिव मनोज सोय, विजय दिग्गी, नरेश देवगम, सुरज पुर्ति, रामलाल हेम्ब्रम, सुरज हेम्ब्रम आदि समाज के लोग उपस्थित थे.
बाईट-
लाल सिंह सोय