सोनुआ/ Jayant pramanik : झारखंड सरकार के आव्हान पर खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच,पश्चिमी सिंहभूम द्वारा आंगनवाड़ी व मध्याह्न भोजन में प्रति दिन अंडा देने की मांग पर अंडा अभियान चलाया गया. झारखंड सरकार ने पिछले तीन सालों में कई बार आंगनवाड़ी में बच्चों को 6 दिन प्रति सप्ताह अंडा देने का घोषणा किया है. साथ ही, विद्यालयों में मध्याह्न भोजन में 5 दिन अंडे की भी घोषणा कई बार हुई है. लेकिन आज तक यह घोषणा धरातल पर नहीं उतरी है.
झारखंड सरकार को उनका वादा याद दिलाने के लिए गुरुवार को भोजन के अधिकार अभियान, झारखंड के आव्हान पर पूरे राज्य में विभिन्न संगठनों द्वारा आंगनवाड़ी में अंडा अभियान चलाया गया. ज़िला में ग्रामीण व मंच के प्रतिनिधि द्वारा चंदा करके कई प्रखंडों के विभिन्न आंगनवाड़ी में बच्चों को अंडा खिलाया गया.शायद अब सरकार को आंगनवाड़ी के बच्चे याद आ जाएं.
अभियान से जुड़े विभिन्न संगठनों द्वारा राज्य के 15 ज़िले के लगभग 75 आंगनवाड़ी केन्द्रों में चलाया गया एवं 2000 बच्चों को अंडा खिलाया गया.स्थानीय कार्यक्रम में पारंपरिक ग्राम प्रधान, जन प्रतिनिधि, आंगनवाड़ी सेविका, बच्चों के अभिभावक व सामाजिक कार्यकर्ता भाग लिए। कार्यक्रमों में स्थानीय स्तर व पूरे राज्य में कुपोषण की स्थिति एवं अंडे की ज़रूरत पर चर्चा हुई.
ज़िला व राज्य में व्यापक कुपोषण किसी से छुपी नहीं है. 2019-21 के सरकारी आंकड़ों (एन एफ एच एस -5) के अनुसार राज्य के पांच वर्ष के कम उम्र के 40% बच्चे कुपोषित है उम्र के अनुसार वज़न कम है राज्य की एक-चौथाई व्यस्क महिलाओं का बी एम आई सामान्य से कम है. वहीं पश्चिमी सिंहभूम ज़िला की स्थिति और दयनीय है.यहां पांच वर्ष के कम उम्र के 62% बच्चे कुपोषित है एवं एक तिहाई व्यस्क महिलाओं का BMI सामान्य से कम है। विभिन्न सरकारी सर्वेक्षणों में यह भी बार-बार पाया जाता है कि राज्य के आदिवासी-दलित बच्चे अन्य समुदायों की तुलना में ज़्यादा कुपोषित हैं.
बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए अंडा एक बेहतरीन खाद्य पदार्थ है. इसमें विटामिन सी के अलावा अन्य अधिकांश आवश्यक पोशक तत्व हैं. अंडे न केवल अत्यंत पौष्टिक है बल्कि स्वादिष्ट और किफायती भी है. इससे न केवल पोषण के लिए फाएदा है. बल्कि आंगनवाड़ी व मध्याह्न भोजन में रोज़ अंडा देने से आंगनवाड़ी व विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति भी सुधरेगी. झारखंड में कुपोषण की स्थिति केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अधिकांश क्षेत्रों से बद्तर है.
ऐसी परिस्थिति में तो आंगनवाड़ी व मध्याह्न भोजन में अंडा देना राज्य सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए. लेकिन सरकार का ध्यान बच्चों के भविष्य की ओर नहीं है.मीडिया के खबरों के अनुसार आंगनवाड़ी में अंडे देने के लिए निजी ठेकेदारों के लिए केंद्रीकृत ठेके की व्यवस्था की जा रही है, जिसके कारण अंडा देने में देरी हो रही.केंद्रीकृत ठेके में भ्रष्टाचार और देरी होनी ही है जिसका सीधा प्रभाव बच्चों के कुपोषण पर पड़ेगा.
आंगनवाड़ी में ठेकेदारी की ज़रूरत है ही नहीं – आंगनवाड़ी स्थानीय स्तर पर ही अंडा खरीद सकती हैं.विद्यालयों में मध्याह्न भोजन में वर्तमान में सप्ताह में दो अंडे मिलते हैं जो स्थानीय स्तर पर ही खरीद कर दिया जाता है.अगर विद्यालयों में यह व्यवस्था सफलतापूर्वक चल रही है, तो आंगनवाड़ी में भी चलेगी.
भोजन का अधिकार अभियान, झारखंड व खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम द्वारा सरकार से लगातार अंडे की मांग की गयी है.मंच ने कई बार बाल विकास मंत्री जोबा माझी से इस संबद्ध में मिलके मांग किया है. ज़िला के सभी विधायकों से मिलकर भी यह मुद्दा कई बार उठाया गया है. लेकिन सरकार की कार्यवाई घोषणा तक ही सीमित है। ज़िला व राज्य में कुपोषण खतम करने की ज़रूरत पर सरकार का ऐसा उदासीन रवैया जनता के साथ धोखा है. आज अभियान में विभिन्न आंगनवाड़ी केन्द्रों में एक स्वर में नारा लगा – आंगनवाड़ी में बांटो अंडा, कुपोषण को मारो डंडा.
अंडा अभियान के माध्यम से भोजन का अधिकार अभियान एवं खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम फिर से झारखंड सरकार से मांग किए कि आंगनवाड़ी में बच्चों को 6 दिन प्रति सप्ताह अंडा देने के वादे को तुरंत लागू करे। साथ ही, मध्याह्न भोजन में भी 5 अंडे प्रति सप्ताह अंडा देने की घोषणा को लागू करे.