चांडिल: दो साल पूर्व झारखंड में हुए सत्ता परिवर्तन का असर दिखने लगा है. पूरा राज्य एकबार फिर से विकास छोड़ बाहरी- भीतरी और भाषा विवाद के आग में झुलस रहा है. अब तो यहां के आदिवासी- मूलवासी भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं. जिस उम्मीद से यहां के आदिवासियों- मूलवासियों ने अपने जल- जंगल और जमीन को बचाने का जिम्मा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सौंपा, अब उनकी उम्मीदों पर पानी फिरने लगा है. क्योंकि अब उनके ही सिपहसालार और चुने गए जनप्रतिनिधि यहां के आदिवासियों- मूलवासियों को लूटने में लगे हैं. ऐसा हम नहीं बल्कि यह तस्वीरें कह रही है.
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दरअसल यह तस्वीरें झारखंड के ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के चांडिल अनुमंडल के कपाली ओपी क्षेत्र के डोबो गांव की है. जहां के ग्रामीणों को स्थानीय विधायक सविता महतो का विरोध महंगा पड़ गया और कपाली पुलिस विरोध कर रहे ग्रामीणों को घसीटकर थाने ले गयी.
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क्यों भड़के ग्रामीण
आपको बता दें कि सरायकेला- खरसावां जिले में इन दिनों जमीन का खेल चल रहा है. रसूखदार और दलाल किस्म के लोगों की थाना से लेकर अंचल कार्यालय तक तूती बोलती है. कारण कि जमीन के खेल में जनप्रतिनिधि, सफेदपोश से लेकर अधिकारियों के हाथ रंगे हैं. अंचल कार्यालय फर्जीवाड़े का अड्डा बन चुका है और यहां के दलाल ब्रांड एंबेसडर. आलम यह है कि दलाल अब अधिकारी के साथ खुलेआम घूम रहे हैं, और अधिकारी सरकारी गाड़ी के बजाए लक्जरी गाड़ियों में दलालों के इशारे पर घूम रहे हैं. बीती शाम जिले के चांडिल अंचल कार्यालय में जमीन कागजात में हुए फर्जीवाड़ा और जालसाजी के विरोध में डोबो के ग्रामीण अपने ही विधायक के खिलाफ आक्रोशित हो उठे और निकल पड़े विधायक सविता महतो का पुतला फूंकने. सैकड़ों की संख्या में महिला- पुरुष और बच्चे हाथों में बैनर- पोस्टर और तख्तियां लिए विधायक के विरोध में नारेबाजी करते सड़क पर जैसे ही निकले कि कपाली पुलिस ने उनका रास्ता रोक लिया.
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फिर क्या था प्रदर्शन कर रहे ग्रामीण भड़क उठे और दोनों तरफ से ठन गयी. जिसके बाद पुलिस ने सख्ती दिखाई और प्रदर्शन में शामिल डोबो ग्राम सभा के सदस्यों के साथ ग्रामीणों को घसीटते हुए जीप में लादकर अपने साथ चांडिल थाना ले गई. जुलूस में महिलाएं और छोटे- छोटे बच्चे भी शामिल थे. बताया जा रहा है कि पुलिस ने महिलाओं और बच्चों के साथ धक्का- मुक्की और दुर्व्यवहार भी किया. बताया जा रहा है कि पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता अनूप महतो, रूपाई मांझी समेत कई महिलाओं और बच्चों को गिरफ्तार किया है. थाना ले जाते समय कपाली थाना प्रभारी ने कहा कि डीएसपी साहब का आदेश है, जाना ही होगा.
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बताया जा रहा है कि विधायक के इशारे पर अंचल कार्यालय नियमों को ताक पर रखकर आदिवासी जमीन का बंदोबस्त करने पर तुला है. ग्रामीण इसी को लेकर आक्रोशित हैं.
क्या है मामला, क्यों भड़के ग्रामीण
दरअसल सारा विवाद का कारण खुद विधायक सविता महतो हैं. बताया जा रहा है कि चांडिल अंचल के डोबो हनुमान कॉलोनी में झामुमो विधायक सविता महतो की जमीन है, जिसे विधायक सविता महतो ने वर्ष 2009 में खरीदा था. कुछ दिनों पहले विधायक ने अंचल कार्यालय में अपने डोबो स्थित जमीन से अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए अंचलाधिकारी को आवेदन किया था. विधायक का आवेदन मिलते ही जिला प्रशासन का पूरा महकमा विधायक की सेवा में जुट गया. फिर न नियम देखा न कानून. अंचलाधिकारी अथवा अंचल के किसी भी कर्मचारियों ने बगैर किसी परिवार को नोटिस या जानकारी दिए विधायक सविता महतो के जमीन की मापी शुरू कर दी. बात यहीं खत्म नहीं हुई, पुलिस की मौजूदगी में पेड़ों की कटाई की गई और चारदीवारी निर्माण भी शुरू कर दिया गया. ग्रामीण अपनी बात कहते- कहते थक गए, लेकिन किसी ने एक न सुनी. अंततः ग्रामीणों ने अंचल कार्यालय, अनुमंडल पदाधिकारी, उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा और न्याय की मांग की है. ज्ञापन के माध्यम से ग्रामीणों ने बताया है कि विधायक सविता महतो जिस जमीन पर अपना दावा कर रही हैं, वह आदिवासी गुरुचरण भूमिज का खतियानी जमीन है. इसके अलावा आदिवासी भदरु भूमिज के नाम बंदोबस्ती जमीन है. वहीं, उक्त प्लॉट पर 15 – 17 परिवार पिछले 50 – 60 साल से बसे हैं जो चांडिल डैम के विस्थापित व भूमिहीन हैं. ग्रामीणों का कहना है, कि इन्हें झारखंड आंदोलनकारी निर्मल महतो ने ही बसाया था. ज्ञापन में ग्रामीणों ने बताया है, कि उक्त जमीन आदिवासी गुरुचरण भूमिज का है. 1964 सर्वेक्षण (सेटलमेंट) के बाद त्रुटि सुधार के लिए कानूनी लड़ाई चली थी, जिसका केस संख्या 2108/1964 है. ग्रामीणों का दावा है कि उक्त कानूनी लड़ाई में अंचल कार्यालय द्वारा जालसाजी एवं फर्जीवाड़ा करते हुए सीएनटी एक्ट की धारा 90 के तहत संशोधन किया गया है. ज्ञापन में कहा गया है, कि फर्जीवाड़ा एवं जालसाजी करके प्लॉट संख्या 1231 का 5.58 डिसमिल, प्लॉट संख्या 1239 का 4.40 डिसमिल, प्लॉट संख्या 1238 का 2.13 डिसमिल तथा प्लॉट संख्या 1239 का 0.99 डिसमिल जमीन मि. स्टाब्स एवं मिसेस सुजा के नाम पर हस्तांतरित किया गया था. फिर वर्ष 2009 में इसी कहानी को पुनः दोहराया जाता है. सविता महतो (ईचागढ़ विधायक) द्वारा मि. स्टाब्स एवं मिसेस सुजा से जमीन खरीदा गया और अब उससे भी बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया. यह फर्जीवाड़ा चांडिल अंचल कार्यालय द्वारा किया गया है. यहां ग्रामीणों ने बताया है, कि मि. स्टाब्स एवं मिसेस सुजा से सविता महतो के नाम पर उपरोक्त प्लॉट संख्या की जमीन हस्तांतरित किया गया. जिसमें डिसमिल को एकड़ में अंकित किया गया है. अब जब विधायक सविता महतो अपने जमीन से अतिक्रमण हटाने की मांग कर रही हैं तो आदिवासी गुरुचरण भूमिज (खतियान धारी ) तथा भदरु भूमिज (बंदोबस्ती जमीन) भी इसके जद में आ रही हैं. यही कारण है कि
जिस ग्रामीणों ने विधायक को प्रचंड मत देकर अपना प्रतिनिधि चुना उसी के खिलाफ सड़क पर उतर विरोध करते नजर आए.
अब सवाल ये उठता है कि क्या लोकतंत्र में लोगों को अपनी आवाज बुलंद करने की आजादी छीन ली गई है, या झारखंड में अब यही होगा ! क्या कानून इसकी इजाजत देता है ? पुलिस- प्रशासन जिस कानून की दुहाई देकर विरोध कर रहे भोले- भाले आदिवासियों- मूलवासियों को जानवरों की तरह घसीटकर अपने साथ थाने ले गयी, महिलाओं और बच्चों के साथ बदसलूकी की क्या कानून इसकी इजाजत देता है ? वैसे इन तस्वीरों को देख कर सरकार शासन प्रशासन और न्यायपालिका तय करें हमारा काम तथ्यों को सामने लाना है हमने ला दिया.
वैसे पुलिस की सख्ती के बाद अब ग्रामीणों का क्या रुख रहता है इसपर हमारी नजर बनी रहेगी. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि ग्रामीणों ने एक गड़े मुर्दे को उखाड़ कर विधायक सविता महतो और चांडिल अंचल कार्यालय के अधिकारियों को बेनकाब क्या कर दिया, विधायक और पूरा प्रशासनिक महकमा ग्रामीणों के पीछे हाथ धोकर पड़ गया.
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