बिहार का बाहुबली और सीवान का आतंक पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की मौत के खबर की भी अफवाहों से भरा रहा. वैसे पुष्टि होने के बाद से देशभर की मीडिया में उनकी चर्चाएं हो रही हैं.
एक दौर था जब उनके नाम से सत्ता और आमलोग कांपते थे. उनके गृह जिले सीवान और उनके पैतृक गांव प्रतापपुर में उनके खिलाफ बोलने की हिमाकत किसी में नहीं थी.
आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के करीबी शहाबुद्दीन का अपने दौर में काफी दबदबा था और इसी से उनकी बाहुबली के रूप में छवि बनी थी.
उन्हें पुलिस- प्रशासन किसी का भी खौफ नहीं था. दरअसल बीते दो दशक के दौरान सीवान में होने वाले हर अपराध को शहाबुद्दीन से जोड़कर देखा गया है.
आइए जाने शाहबुद्दीन से जुड़े पांच बड़े मामले जिनमें शहाबुद्दीन की संलिप्तता शामिल रही.
13 सितंबर, 1996 राजपुरा हत्याकांड: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के नेता ग़ुलाम हैदर के घर बक़रीद की ख़ुशियों का माहौल था.
इसी दौरान हथियारबंद लोगों ने सीवान के आंदर प्रखंड के राजपुरा गांव में उनके घर पर हमला कर दिया. इस हमले में ग़ुलाम हैदर के बुज़ुर्ग पिता और एक रिश्तेदार के अलावा उनकी तीन साल की बेटी को मौत के घाट उतारा गया.
ग़ुलाम हैदर उस वक़्त अपने घर पर नहीं थे. इस मामले में मोहम्म्द शहाबुद्दीन पर साज़िशकर्ता होने का आरोप है.
31 मार्च, 1997 छात्र नेता चंद्रशेखर हत्याकांड: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के आह्वान पर सीवान के जेपी चौक के पास धरना चल रहा था. जिसमें संगठन के लोग इलाक़े में सामंतवादियों और अपराधियों के बीच के गठजोड़ के ख़िलाफ़ लोगों को गोलबंद होने के लिए कह रहे थे.
तभी हथियारबंद लोगों ने उस धरने पर हमला बोल दिया. जिसमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष चंद्रशेखर और सीपीआई (एम-एल) के नेता श्याम नारायण यादव मारे गए थे.
घटना में कई लोगों को गोली लगी थी. इस मामले में चार लोगों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई जा चुकी है. जबकि मोहम्मद शहाबुद्दीन की भूमिका को लेकर सीबीआई अभी भी जांच ही कर रही है.
6 मार्च, 2001 प्रतापपुर गोलीकांड: इस गोलीकांड में 13 लोगों की जानें गईं थी. राजद नेता मनोज कुमार की गिरफ़्तारी के लिए आई पुलिस से शहाबुद्दीन और उनके लोगों के बीच झड़प हो गई थी.
इसके बाद प्रतापपुर में शहाबुद्दीन के घर घंटों तक उनके समर्थकों और पुलिस के बीच गोलीबारी होती रही. इस गोलीबारी में दो पुलिसकर्मी भी मारे गए थे.
पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी गई थी और पुलिस ने घटना स्थल से तीन एके-47 राइफलें, हथगोले और दूसरे हथियार बरामद किए थे. इस मामले में मोहम्मद शहाबुद्दीन को मुख्य अभियुक्त बनाया गया था और उनपर आरोप भी गठित किए गए थे.
16 अगस्त 2004 तेजाब कांड: यह कांड सीवान में अबतक का सबसे वीभत्स हत्याकांड था. इसमें व्यवसायी चंद्रकेश्वर प्रसाद के दो पुत्रों को तेज़ाब में नहला दिया गया था.
इस दर्दनाक वारदात के बाद उनके दोनों पुत्र सतीश और गिरीश की लाशें भी बरामद नहीं हो पाईं. तीन साल के बाद चंद्रकेश्वर प्रसाद के सबसे बड़े पुत्र राजीव की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई. मामला ज़मीन के विवाद से जुड़ा था और इसमें मोहम्मद शहाबुद्दीन को साज़िशकर्ता बनाया गया
13 मई,2016 पत्रकार हत्याकांड: एक दैनिक अखबार के लिए काम कर रहे राजदेव रंजन की अपराधियों ने उस वक्त गोली मारकर हत्या कर दी थी, जब वे अपने दफ़्तर से घर लौट रहे थे.
राजदेव रंजन के परिजनों का आरोप है, कि जेल में बंद मोहम्मद शहाबुद्दीन से मिलने वाले बड़े नेताओं के बारे में खुलासा करने के बाद उन्हें धमकियां मिलने लगी थीं.
इस मामले में पुलिस द्वारा तीन लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. मोहम्मद शहाबुद्दीन को इस कांड में भी बतौर मुख्य साज़िशकर्ता नामज़द किया गया है. बहरहाल बिहार के सत्तापरस्त इस दुर्दांत अपराधी की तिहाड़ जेल में मौत के बाद बिहार के लोगों ने राहत की सांस ली है.
शाहबुद्दीन की मौत के बाद भी अफवाहों से दिनभर हिलोरें मारता रहा. अन्ततः तिहाड़ जेल प्रशासन ने शाहबुद्दीन की मौत की पुष्टि कर दी.