मामला जन वितरण प्रणाली की दुकानों से राशन उठाने का
थंब इंप्रेशन लगाना बेहद जरूरी, नहीं तो नहीं मिलेगा राशन
पेड़ के नीचे बैठकर प्रतिदिन घंटों होता है नेटवर्क आने का इंतजार
GAMHARIA सोशल मीडिया के इस दौर में जहां एक ओर साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने लोगों की जिंदगी बदल दी है और रोजमर्रा के कार्यों में लोगों को काफी सहूलियत भी हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर इस सूचना और प्रौद्योगिकी के बढ़ते चलन ने भोले-भाले ग्रामीणों के लिए एक नई और बड़ी मुसीबत को जन्म दे दिया है.
चाहे अनचाहे ग्रामीण इस मुसीबत का सामना करने को मजबूर हैं, फिर चाहे चिलचिलाती धूप हो या आसमान से लगातार आफत की बारिश हो या फिर ठिठुरन भरी ठंड हो, लोगों को घंटों पैदल चलकर नेटवर्क की तलाश करनी पड़ती है ताकि उन्हें दो जून की रोटी मयस्सर हो सके. आइए देखते हैं ये रिपोर्ट
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सार्वजनिक जन वितरण प्रणाली की दुकानों से राशन का उठाव करने के लिए अब उपभोक्ताओं को ऑनलाइन थंब इंप्रेशन लगाकर अपनी पहचान सुनिश्चित करना लाजमी हो गया है. बिना इसके उन्हें सरकार की ओर से दी जाने वाली इस योजना का लाभ नहीं मिल पाता है. ऐसे में ऑनलाइन थंब इंप्रेशन का महत्व अब ग्रामीण भी समझते हैं और इससे उन्हें एतराज भी नहीं है. मगर शहरी इलाकों से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में जहां नेटवर्क कनेक्टिविटी अच्छी है, वहां कोई समस्या नहीं है. मगर भौगोलिक दृष्टिकोण से सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाली एक बड़ी आबादी जो नेटवर्क कनेक्टिविटी से पूरी तरह वंचित है उनके लिए थंब इंप्रेशन लगा कर राशन उठाना न सिर्फ टेढ़ी खीर साबित हो रहा है, बल्कि यह मजबूरी नई और बड़ी मुसीबत बनकर उनके समक्ष नई चुनौतियां पेश कर रही है.
सरायकेला जिला के गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत बुरुडीह पंचायत के भोले-भाले ग्रामीणों को थंब इंप्रेशन कर राशन का उठाव करने के लिए 5 से 10 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता है. वजह है नेटवर्क कनेक्टिविटी. यहां के ग्रामीण राशन डीलर के साथ रापचा पंचायत अंतर्गत एक खजूर के वृक्ष के नीचे बैठकर घंटों टावर का इंतजार करते हैं और जब काफी कोशिश करने के बाद किसी तरह नेटवर्क मिल जाता है तब थंब इंप्रेशन कर अपना राशन उठाते हैं. यह नजारा किसी एक दिन का नहीं है, बल्कि प्रति माह बुरुडीह पंचायत के सैकड़ों ग्रामीण रापचा पंचायत के खजूर पेड़ के नीचे बैठ कर अपना थंब इंप्रेशन करते हैं. उसके बाद पुनः बुरुडीह पंचायत आकर अपना राशन ले पाते हैं. चाहे मौसम का मिजाज कुछ भी हो उन्हें यह करना ही पड़ता है. एक ग्रामीण बुजुर्ग महिला ने अपने परेशानी news india virale को बताते हुए कहा कि…..
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ग्रामीण महिला
वहीं राशन डीलर ने भी ग्रामीणों की इस मुसीबत का समर्थन किया है और उन्होंने इसकी वजह नेटवर्क प्रॉब्लम को बताया . दुकानदार पूरे पंचायत में नेटवर्क की असुविधा के कारण दूसरे पंचायत में जाकर पेड़ के नीचे बैठकर लोगों का थंब इंप्रेशन लेते हैं पुनः वापस अपने राशन दुकान जाकर खाद्यान्न का वितरण करते हैं उन्होंने कहा कि….
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राशन डीलर
अपने पंचायत के ग्रामीणों को हो रही असुविधा के संबंध में कई बार वरीय पदाधिकारी के साथ पत्राचार करने वाले स्थानीय मुखिया ने भी इस पर घोर आपत्ति जताते हुए कहा कि……
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सोखेन हेम्ब्रम (मुखिया- बुरुडीह)
सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करना ग्रामीणों के लिए एक त्रासदी सी बन गई है. नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं होने का खामियाजा भुगत रहे इन ग्रामीणों का कसूर बस इतना है कि उन का निवास स्थान ऐसी जगह पर है जहां कनेक्टिविटी नहीं है. ऐसे में अगर राशन लेना है तो फिर घंटों पैदल चलना और नेटवर्क की तलाश करना इनकी मजबूरी हो गई है. कई बार विभागीय अधिकारियों से फरियाद करने के बावजूद इनकी ओर किसी का भी ध्यान नहीं है. ऐसे में यह लोग जाएं तो फिर जाएं कहां