सरायकेला (प्रमोद सिंह) प्रखंड की मोहितपुर पंचायत के सुदूरवर्ती जानकीपुर गांव के ग्रामीण हाईटेक जमाने में भी लालटेन युग में जीने को विवश हैं. यहां विद्युतीकरण के लिए पोल गाड़े गए, तार खींचा गया, ट्रांसफॉर्मर लगाया गया और घरों में कनेक्शन भी दिये गये, लेकिन लोग बिजली से वंचित हैं.
ग्रामीणों ने विद्युतीकरण के लिए मुखिया से लेकर विधायक व सांसद तक, बीडीओ- सीओ से लेकर डीसी एसपी तक गुहार लगाई. पर सिर्फ आश्वासन ही मिला.
जानकीपुर गांव का नाम भगवान रामचंद्र की अर्धांगिनी सीता माता के नाम पर रखा गया, पर राज्य बनने के बाद भी लोग मौलिक सुविधाओं से वंचित हैं. चार साल पहले तत्कालीन उपायुक्त ए दोड्डे एवं पुलिस अधीक्षक कार्तिक एस ने गांव में जाकर विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों के साथ जनता दरबार आयोजित कर लोगों की समस्याएं सुनी और समाधान का भरोसा दिया था. सुदूरवर्ती वन क्षेत्र होने के कारण ग्रामीणों ने मुख्य रूप से बिजली की मांग की थी. उपायुक्त ने मौके पर विद्युत अभियंता को ट्रांसफॉर्मर एवं विद्युत तार की गड़बड़ी को सुधारते हुए गांव में बिजली जलाने का निर्देश दिया था.
उपायुक्त के निर्देशानुसार विभागीय पदाधिकारियों ने 24 घंटे के अंदर गांव तक बिजली पहुंचायी और लोगों के घरों में बिजली जलने लगी. लेकिन, दो- चार दिन जलने के बाद फिर से लाइन में गड़बड़ी हो गयी पर आज तक सुधारा नहीं गया.
गत छह माह पहले सरायकेला बीडीओ मृत्युंजय कुमार एवं सीओ सुरेश सिन्हा सहित कई पदाधिकारियों ने जानकीपुर जाकर ग्रामीणों के साथ बैठक की और उनकी समस्याओं से अवगत हुए. ग्रामीणों ने पदाधिकारियों से बिजली की गुहार लगाई जिस पर बीडीओ व सीओ ने मौके पर उपस्थित विद्युत अभियंता को सारी व्यवस्था में सुधार लाकर गांव में बिजली जलाने का निर्देश दिया. इसके बावजूद गांव में अब तक ग्रामीणों को बिजली नहीं मिली.
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