सरायकेला: टाटा कमिंस प्राइवेट लिमिटेड और टाटा मोटर्स द्वारा पैन स्थानांतरण एवं कानूनी क्षेत्राधिकार तथा न्यायिक क्षेत्र पुणे शिफ्ट किए जाने का झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने विरोध किया है. कंपनी प्रबंधन और झामुमो में बरकरार तल्खी दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है. इस बीच झामुमो ने हमले तेज कर दिए हैं और अपनी मांगों के समर्थन में पार्टी ने आगामी 17 नवंबर को टाटा की सभी इकाइयों में सांकेतिक नाकेबंदी का भी ऐलान कर दिया है. शुक्रवार को पार्टी के जिलाध्यक्ष डॉ शुभेन्दु महतो ने एक प्रेसवार्ता के दौरान कंपनी प्रबंधन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पैन स्थानांतरण और न्यायिक क्षेत्र के स्थानांतरण से क्षेत्र के कामगारों और कर्मचारियों के समक्ष दुष्कर परिस्थिति उत्पन्न हो जाएगी. न्यायिक क्षेत्र एवं मुख्यालय उसी क्षेत्र में रहना उचित है जहां प्लांट मौजूद है. इसके स्थानांतरण का निर्णय प्रबंधन का तुगलकी फैसला है और झामुमो इसका कड़ा प्रतिरोध करेगी. इसके अलावा उन्होंने कंपनी में उपयोग होने वाले कलपुर्जों के महाराष्ट्र से आयात पर भी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि उपयोगी कलपुर्जों और इलेक्ट्रिक उत्पादों की शत प्रतिशत आपूर्ति आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र से ही की जानी चाहिए. साथ ही टाटा प्रबंधन द्वारा लौह अयस्क एवं कोयला के खनन से नोवामुंडी, जामाडोबा और घाटो में प्रभावित विस्थापित परिवारों के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक व्यवस्था एवं उनके पुनर्वास की भी अविलंब व्यवस्था करने की मांग कंपनी प्रबंधन से की है. प्रबंधन को चेतावनी देते हुए आगे कहा कहा कि टाटा कंपनी सीएनटी एक्ट का उल्लंघन करना तत्काल बंद करे. इसके अलावा उन्होंने प्रबंधन द्वारा सामाजिक कार्यों में खर्च की जा रही राशि का ब्यौरा सार्वजनिक करने, ट्रेड अप्रैंटिस में विस्थापित-प्रभावित आदिवासी मूलवासियों को बहाल करने आदि की मांग भी की है. डॉ महतो ने कहा कि उपरोक्त सभी मांगों पर टाटा अविलंब विचार कर अमल करे अन्यथा आगे और भी उग्र आंदोलन हो सकता है. जिसकी पूरी जिम्मेदारी टाटा प्रबंधन की होगी.
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