सरायकेला: शनिवार की शाम आए तेज आंधी- पानी के बाद सरायकेला नगर पंचायत के शहरी और ग्रामीण इलाकों की बिजली गुल है. भीषण गर्मी और बारिश के बाद उमस से जनजीवन अस्त- व्यस्त हो गया है. विभाग के पास इतने संसाधन नहीं हैं कि युद्धस्तर पर बिजली बहाल करायी जा सके. वहीं बिजली गुल रहने के कारण लोगों को पानी की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है.
विभाग के अधिकारी यह बता पाने में विफल हैं कि कबतक निर्बाध रूप से बिजली बहाल करा पाएंगे. अधिकारियों का दावा है कि पूरी रात फॉल्ट ढूंढने में विभाग के कर्मी लगे रहे. मजे की बात ये है कि 18 घंटे बाद भी विभाग के अधिकारी ये बता पाने में नाकाम हैं कि क्षेत्र में बिजली कबतक बहाल होगी. इसको लेकर नगर पंचायत की जनता आक्रोशित हैं.
भड़के विधायक प्रतिनिधि; कहा लापरवाह अधिकारियों की वजह से मुख्यमंत्री की हो रही छवि खराब; करेंगे शिकायत
आपको बता दें कि सरायकेला मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन का गृह जिला है. मुख्यमंत्री लोकसभा चुनाव के दौरान पूरे राज्य में घूम- घूमकर मुफ्त और निर्बाध बिजली देने का दावा करते देखे गए, मगर उनके गृह जिला मुख्यालय का ये हाल है कि आंधी- पानी के बाद टूटे तार और गिरे खंभों को दुरुस्त कराना तो दूर 18 घंटे बाद विभाग फॉल्ट ढूंढ पाने में नाकाम साबित हुई है. इधर बिजली विभाग के लापरवाही पर विधायक प्रतिनिधि सनद कुमार आचार्य (टूलु) ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने विभाग के अधिकारियों पर मुख्यमंत्री की छवि खराब करने का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि बिजली विभाग को एकमात्र कर्मचारी देवाशीष पट्टनायक चला रहा है. उसकी वजह से पूरे नगर पंचायत क्षेत्र की बिजली व्यवस्था चरमरा गई है. विभाग के अधिकारी उनका फोन तक नहीं उठाते. जनता अपनी समस्या को लेकर उन्हें फोन करते हैं मगर विभागीय अधिकारियों की लापरवाही की वजह से वे निरूत्तर हो जाते हैं. उन्होंने दो बजे तक बिजली बहाल नहीं होने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है. वैसे जब अधिकारी उनका फोन नहीं उठाते तो उनके धमकी का उनपर क्या असर होगा यह देखना दिलचस्प होगा. वैसे सनंद ने आदर्श आचार संहिता समाप्त होने के बाद बिजली विभाग के अधिकारियों की शिकायत मुख्यमंत्री से करने की बात कही है.
भ्रष्टाचारी सरकार से उम्मीद बेमानी: मनोज चौधरी
वहीं सरायकेला नगर पंचायत क्षेत्र में व्याप्त बिजली की समस्या को लेकर नपं के पूर्व उपाध्यक्ष सह बीजेपी नेता मनोज कुमार चौधरी ने कहा कि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी सरकार से उम्मीद करना बेमानी होगी. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचारी नेताओं और पदाधिकारियों के मिली भगत से सरकारी राशि के बंदरबाट के कारण बिजली- पानी से सरायकेला वासी वंचित हैं. उन्होंने कहा कि मेंटेनेंस के नाम पर सरकारी राशि का बड़े पैमाने पर बंदरबांट हुआ है. विभाग बताए कि पिछले पांच साल में कहां- कहां मेंटेनेंस किया गया है और उसमें कितनी राशि खर्च हुई है, यदि मेंटेनेंस हुआ है तो फिर ये हाल क्यों है. उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 5 सालों में मुफ्त बिजली के नाम पर जनता के ऊपर कहर बरपाया गया. उन्हें भारी- भरकम बिल दिया गया. काफी संख्या में लोगों पर मुकदमा हुआ और जेल जाने का नोटिस दिया गया. भय से लोगों ने बर्तन, घर व जमीन गिरवी रखकर बिजली बिल का भुगतान किया. जब हम पद में थे विभाग पर दबाव बनाकर नियमित निगरानी करते हुए मेंटेनेंस का काम करवाया गया था. शहर की सर्विस लाइन और मेन लाइन से सटे पेड़- पौधों की टहनियों को कटवाया गया था जिस कारण बिजली कटौती की समस्या कम थी. अब जब हमारे पास पवार नहीं है तो विभाग के अधिकारी और कर्मी बेलगाम हो गए हैं. उन्हें किसी का भय नहीं है और वे मनमानी कर रहे हैं जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि तत्कालीन रघुवर दास की सरकार ने करोड़ों की लागत से सरायकेला नगर को तीन क्षेत्रों (चाईबासा, राज खरसावां और उलीझारी) के पावर ग्रिड से विद्युत आपूर्ति की योजना बनाई थी, मगर केवल उलीझारी पावर ग्रिड पर बिजली विभाग आश्रित है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि विभाग और नेताओं के मिली भगत से राज खरसावां एवं चाईबासा पावर स्टेशन से सरायकेला मेन लाइन का तार चोरी करके बेच दिया गया है. चौधरी ने कहा हमें लोकतंत्र पर विश्वास है हम गुंडागर्दी नहीं कर सकते, लेकिन वर्तमान में राज्य में गुंडाराज चल रहा है. सत्ता पक्ष के मंत्री के चट्टे- बट्टे स्वयंभू नेता सरकारी तंत्र के संरक्षण में बाहुबल और अपने पावर का दुरुपयोग कर पब्लिक की आवाज दबाने का काम कर रहे हैं. प्रशासन मूकदर्शक बनी हुई है. उनके द्वारा शहर में किसी के साथ मारपीट और गाली- गलौज करना आम बात हो गई है. उन्होंने सरकार, जिला प्रशासन व बिजली विभाग से अनुरोध करते हुए कहा है कि मानसून आने वाला है. उससे पहले निर्बाध बिजली आपूर्ति हेतु सर्विस लाइन और मेन लाइन के बगल में मेंटेनेंस का काम करते हुए पेड़ और पेड़ की टहनियों की कटाई अविलंब कराई जाए एवं वैकल्पिक उपयोग के लिए तीनों (चाईबासा, राज खरसावां और उलीझारी) लाइनों को दुरुस्त किया जाए अन्यथा 4 जून तक आदर्श आचार संहिता है और बिजली- पानी की यदि यही व्यवस्था बनी रही तो 4 जून के बाद जोरदार आंदोलन होगा.