सरायकेला/ Pramod Singh जिले के चर्चित तबरेज अंसारी हत्याकांड मामले पर 4 साल बाद फैसला सुनाते हुए एडीजे वन अमित शेखर की अदालत ने सभी 10 जीवित बचे आरोपियों को धारा 304 पार्ट- 1, 325, 341, 323, 295 ए एवं 147 के तहत दोषी पाते हुए दस साल की सजा और 15 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है.
पीपी प्रवीण कुमार सिंह ने बताया कि कोर्ट ने धारा 325 (तीन साल की सजा और पांच हजार जुर्माना), 341 ( एक साल सजा और तीन सौ जुर्माना) 323 (नौ महीने सजा और 8 सौ रुपये जुर्माना, 295 ए (एक साल सजा और एक हजार जुर्माना और 147 (एक साल सजा और एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. सभी सजाएं साथ- साथ चलेंगी.
इससे पूर्व 27 जून को सुनवाई करते हुए दो आरोपियों सत्यनारायण नायक और सुमंत प्रधान को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया था. उसके बाद सजा के बिंदु पर फैसला सुरक्षित रखा था. बुधवार को सजा सुनाते हुए एडीजे- 1 अमित शेखर ने बताया कि सारे साक्ष्यों एवं तकनीकी साक्ष्यों पर गहनता से अध्ययन करते हुए पाया गया कि मृतक के साथ मारपीट गई है मगर मारपीट से मौत होने का प्रमाण नहीं मिला है.
इधर तबरेज पत्नी शाइस्ता परवीन ने बताया कि इस फैसले से वह नाखून है और ऊपरी अदालत में इसे चुनौती देगी. शाइस्ता परवीन ने कहा कि जिस तरह से मेरे पति को मारा गया है आरोपियों को फांसी की सजा होनी चाहिए थी.
बचाव पक्ष के वकील एससी हाजरा ने बताया कि पूरे मामले को गलत ढंग से पेश किया गया है. तबरेज की हत्या मॉब लिंचिंग नहीं थी इसे दुष्प्रचारित किया गया है. राजनीति और पुलिस ने मिलकर केस को गलत दिशा में ले जाने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा कानून पर भरोसा है न्याय जरूर मिलेगा. वे डॉक्टर के पोस्टमार्टम रिपोर्ट को आधार मानकर दावा कर रहे हैं कि मामले में न्याय होगा. उन्होंने कहा जब तबरेज को जेल भेजा गया था उस वक्त इंज्युरी में तबरेज के शरीर पर कोई गंभीर चोट के निशान नहीं पाए गए थे. आज के फैसले को उन्होंने राजनीति और प्रशासनिक दबाव में दिया गया निर्णय बताया. उन्होंने भी ऊपरी अदालत में जाने की बात कही है.
इन्हें सुनाई गई सजा
पप्पु मंडल, भीम सिंह मंडल, कमल महतो, मदन नायक, अतुल महाली, सुमंत महतो, विक्रम मंडल, चामू नायक, प्रेमचंद महाली एवं प्रकाश मंडल
क्या है मामला
18 जून 2019 को धातकीडीह में एक घर में चोरी की नीयत से घुसे तबरेज की भीड़ ने पिटाई कर डाली थी. जिसे बाद में पुलिस के हवाले कर दिया गया था. जहां से उसे मेडिकल जांच के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. जहां तबियत बिगड़ने पर 21 जून को तबरेज को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसी क्रम में 22 जून 2019 को इलाज के दौरान तबरेज की मौत हो गयी थी. बाद में इसको लेकर खूब हाय तौबा मचा था. इसे मॉब लॉन्चिंग का रूप देकर प्रचारित किया गया. पुलिस ने मामले में कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया था. एक अभियुक्त कुशल महाली की मौत हो गयी थी, जबकि दो को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था.