सरायकेला: गम्हरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से बीते 28 मई को फर्जी तरीके से गर्भवती का नाम बदलकर नवजात को गायब करने के मामले को लेकर शनिवार को सिविल सर्जन अजय कुमार सिन्हा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गम्हरिया पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी ली. सीएस ने बताया कि प्रथम दृष्टया सहिया की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. अगले हफ्ते विभागीय स्तर पर जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में गर्भवती को भर्ती करने और डिस्चार्ज करने की फुलप्रूफ व्यवस्था होती है. कहां चूक हुई है इसकी जांच चल रही है. इसमें सबसे अहम गर्भवती पूर्णिमा तांती है जिससे हमारी टीम पूछताछ करेगी. चूंकि आज शनिवार है कर रविवार है इसलिए सोमवार से हमारी टीम सक्रिय होकर पूरे मामले की जांच करेगी. वैसे उन्होंने इसकी भी आशंका जताई कि कहीं पूर्णिमा ट्रेसलेस न हो जाए. वहीं जेएसएलपीएस कर्मी सुनीता प्रमाणिक की भूमिका को उन्होंने पुलिस- प्रशासन की जिम्मेदारी बताया. उन्होंने कहा कि इस मामले में स्वास्थ्य विभाग कुछ नहीं कर सकता है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या मामले को रफा- दफा कर दिया जाएगा ? आखिर कैसे कोई बगैर एडॉप्शन की प्रक्रिया पूर्ण किए नवजात को ले जा सकता है ? किसके इशारे पर गलत नाम दर्ज कराकर नवजात को रातोंरात गायब करवाया गया और दस दिन बाद भेद खुलते ही सारी मशीनरी खामोश है. क्या जिला परिषद पिंकी मंडल की संलिप्तता सामने आने के बाद पुलिस- प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने चुप्पी साध ली ? क्या पिंकी मंडल को बचाने में पुलिस- प्रशासन और सीडब्ल्यूसी जुट गई है. इन सबके बीच सबसे अहम सवाल ये है कि आखिर नवजात है कहां और सीडब्ल्यूसी ने नवजात को बरामद करने में अबतक क्या कार्रवाई की है. उससे भी बड़ा सवाल ये है कि पूरे मामले पर जिले के डीसी और एसपी क्यों मौन हैं ?
शनिवार को जिला परिषद पिंकी मंडल से जब मीडियाकर्मियों ने इस प्रकरण में उनकी भूमिका को लेकर सवाल किए तो उनका जवाब था कि मैं एक जनप्रतिनिधि के साथ झामुमो महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी हूं. मेरे पास जब मामला आया तो लिखापढ़ी करवाकर मैंने यह कहते के अनुमति दी कि एडॉप्शन की प्रक्रिया पूरी करते हुए बच्चे को गोद लें, किन परिस्थितियों में अस्पताल में नाम बदलवाया गया इसकी मुझे जानकारी नहीं है. श्रीमती मंडल ने बताया कि उनपर जो आरोप लग रहे हैं वे निराधार और बेबुनियाद हैं. मगर सवाल ये उठता है कि पिंकी मंडल को जब इसकी जानकारी थी तो उन्होंने इसकी जानकारी सीडब्ल्यूसी को क्यों नहीं दिया ? दस दिन बाद भी इस मामले पर क्यों मौन रही ? संवैधानिक पद पर रहते गैरकानूनी कार्यों में कैसे सहमति प्रदान की ?
सुने पिंकी मंडल ने क्या कहा video
जानिए एक नजर में क्या है पूरा घटनाक्रम
आपको बता दें कि बीते 28 मई को कांड्रा थाना अंतर्गत हरिश्चंद्र घाट बांधाझुड़िया की रहनेवाली पूर्णिमा तांती को प्रसव पीड़ा के बाद सहिया जयंती सेन और जेएसएलपीएस कर्मी सुनीता प्रमाणिक उर्फ सोमा सुबह 6:45 (रजिस्टर के मुताबिक) में गम्हरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचती है. यहां 6: 55 में बच्चे का जन्म होता है. मजे की बात ये है कि स्वास्थ्य केंद्र के किसी भी रिकॉर्ड में पूर्णिमा तांती का नाम तक दर्ज नहीं है. फिर सवाल ये उठता है कि पूर्णिमा तांती का प्रसव कहां हुआ और उसका बच्चा कहां गया ? हमारी पड़ताल में अस्पताल के रजिस्टर के क्रमांक संख्या 218 में सुदीप्ता दत्ता, पति सजल दत्ता, निवासी भिलाई पहाड़ी पीए कांड्रा, पीओ कांड्रा, ज़िला सरायकेला दर्ज मिला. बता दें कि कांड्रा पंचायत में कहीं भी भिलाई पहाड़ी नहीं है. मतलब सुदीप्ता दत्ता ने अपना पता पूरी तरह से गलत दर्ज कराया है. हैरान करने वाली बात ये है कि सहिया जयंती सेन और सुनीता प्रमाणिक उर्फ सोमा ने स्वास्थ्य विभाग को गुमराह कर गलत महिला का नाम क्यों दर्ज कराया ? पड़ताल के बाद पता चला कि सुदीप्ता और उसके पति बच्चे को टीएमच रेफर कराकर बच्चा सहित गायब हो गए. सुदीप्ता ने रेफर का पेपर भी नहीं लिया जो आज भी सीएचसी में पड़ा हुआ है.
देखें अस्पताल के रजिस्टर और एडमिट के वक्त अस्पताल द्वारा जारी प्रिस्क्रिप्शन
जब इस पूरे मामले में सहिया जयंती सेन से संपर्क किया तो उसने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि जब पूर्णिमा को प्रसव पीड़ा हुई तो सोमा ने अस्पताल लेकर चलने को कहा. सहिया होने के नाते मैं पूर्णिमा को सीएचसी गम्हरिय लेकर गयी, वहां पूर्णिमा को भर्ती कराकर वापस लौट गई, उसके बाद क्या हुआ मुझे नहीं पता. जब सहिया से यह पूछा गया कि अस्पताल के रजिस्टर में पूर्णिमा के जगह सुदीप्ता दत्ता का नाम क्यों लिखवाया गया तो उसने कहा कि सोमा यानी सुनीता प्रमाणिक के कहने पर उसने गलत नाम लिखवाया. मगर क्या सहिया का ये तर्क सही है ?जब सुनीता ने उससे गलत और गैर कानूनी काम करवाया तो उसने इसकी जानकारी अपने वरीय अधिकारियों से क्यों छिपाया ? खैर सीएस के जांच के पहले चरण में सहिया की भूमिका संदिग्ध पाए गए हैं उसपर कार्रवाई भी तय है.
सुने क्या कहा सहिया जयंती सेन ने video
इस पूरे मामले में सुनीता प्रामाणिक ने कहा कि मैं समाजसेवा करती हूं पूर्णिमा गर्भ गिराना चाहती थी मैंने उसे सलाह दिया कि ऐसा मत करो कई लोग ऐसे होते हैं जो बच्चे को गोद लेते हैं तुम बच्चे को जन्म दो. इसी बीच सुदीप्ता दत्ता से उसका संपर्क हुआ उसने बच्चे को गोद लेने की इच्छा जताई. दोनों के बीच कोर्ट के पेपर पर लिखापढ़ी हुआ और प्रसव के बाद सुदीप्ता बच्चे को लेकर चली गई. जब सुनीता से यह पूछा गया कि अस्पताल में पूर्णिमा को भर्ती कराया गया तब वहां सुदीप्ता का नाम क्यों दर्ज कराया गया ? इस सवाल के जवाब में वह निरुत्तर हो गई और कुछ भी बोलने से मना कर दिया. उसने बताया कि सुदीप्ता को बीस वर्षों से बच्चा नहीं हो रहा था. वह पिछले पांच महीने से पूर्णिमा का ख्याल रख रही थी. उसके इलाज में होने वाले सभी खर्च वहन कर रही थी. सुनीता की भूमिका पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता के साथ जेएसएलपीएस कर्मी भी है. उसने सब जानते हुए भी आखिर कैसे अस्पताल में गलत नाम दर्ज करा दिया और पूरे दस दिनों तक खामोश रही.
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इस पड़ताल में जिला परिषद पिंकी मंडल को सुदीप्ता दास द्वारा दिया गया आवेदन हमारे हाथ लगी है जिसे सुदीप्ता दत्ता ने बीते 23 अप्रैल 2024 को दिया है. जिसमें उसने जिक्र किया है कि उसका कोई संतान नहीं है. उसे अपने सहेलियों के माध्यम से पता चला कि पूर्णिमा तांती जो गर्भवती है वह अपने होने वाले बच्चों को गोद दिलाना चाहती है. अतः इस पर उचित दिशा- निर्देश देने की कृपा करें. जिसपर सुदीप्ता दत्ता, सजल दत्ता, कविता मोदी, पूर्णिमा तांती, विकाश तांती, रीना मोदी, मंपू दत्ता, पूजा पाल, दुर्गा सेन, सोमा प्रमाणिक और जयंती सेन के हस्ताक्षर है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस आवेदन में सुदीप्ता दत्ता ने जिस पते का जिक्र किया है वह भिलाई पहाड़ी जमशेदपुर के एमजीएम थाना क्षेत्र में है. अस्पताल में जिस भिलाई पहाड़ी का जिक्र किया है उसे कांड्रा में दर्शाया गया है. सवाल ये उठता है कि किस कानून के तहत बच्चे को साजिश के तहत गायब कराया गया ? क्या जिला परिषद सदस्य को इसका अधिकार है कि बगैर एडॉप्शन की प्रक्रिया के एकमात्र आवेदन पर किसी के भी बच्चे को किसी को गोद दिला दे ? सोमा की भूमिका की जांच होनी चाहिए. जेएसपीएल कर्मी होने के नाते उसने गैर कानूनी काम कैसे किया और इसके लिए उसने कितने पैसे लिए ? कांड्रा के गली- गली में इस खेल की चर्चा जोरों पर है.
देखें आवेदन की प्रति
इस पूरे मामले में पूर्णिमा तांती ने बताया कि उसके चार बच्चे हैं. बड़ा बेटा दिव्यांग है. वह बच्चों की परवरिश कर पाने में सक्षम नहीं है. सुदीप्ता उसकी दूर की रिश्तेदार है. उसे शादी के बीस साल बाद भी बच्चा नहीं हुआ. वह बच्चे को गोद लेना चाहती थी. इसलिए मैं बच्चा उसे दे दिया. हालांकि पूर्णिमा ने पैसे के लेनदेन से इनकार किया है.
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