सरायकेला (Pramod Singh) महान लोक आस्था के पर्व छठ के दूसरे दिन खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया है. शनिवार को दिन भर उपवास रखने के बाद शाम को व्रतियों द्वारा खरना पूजा की गयी.
व्रतियों ने भगवान की पूजा- अर्चना कर सभी के लिए मंगल कामना की और प्रसाद ग्रहण किया. छठ महापर्व के तीसरे दिन रविवार को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस बार रविवार को छठ पड़ रहा है, इसलिए इसकी महत्ता और बढ़ गयी है. रविवार को भगवान सूर्य की पूजा का दिन माना गया है. वर्षों बाद ऐसा संयोग है कि छठ महापर्व रविवार को पड़ रहा है. रविवार को सूर्योदय के बाद भगवान की पूजा- अर्चना करके लोकगीत गाते हुये घर- घर में व्रती प्रसाद बनाना शुरू कर देंगी. इसमें परिवार के पुरुष सदस्य भी मदद करते हैं.
सूर्य भगवान को अर्घ्य देने ठेकुआ, चावल के लड्डू सहित कई तरह का प्रसाद बनाया जाता है.
प्रसाद बनने के बाद छठ घाट जाने के लिए डाला सजाया जाता है. इसमें सभी तरह के फल व अन्य सामग्री रखी जाती है. अर्घ्य देने से पहले छठ घाट पर ही व्रती स्नान- ध्यान करेंगे. जैसे ही सूर्य देव अस्त होने लगेंगे, व्रती उन्हें अर्घ्य देना शुरू कर देंगे. अर्घ्य देने के बाद भगवान की आरती की जाएगी. भगवान को नमन करके तमाम पूजन सामग्री को लेकर श्रद्धालु घाट से अपने- अपने घर वापस आ जाएंगे.
सोमवार को सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी शुरू हो जाएगी. सुबह स्नान ध्यान कर दोबार व्रती छठ घाट पहुंचेंगे. घाट पर स्नान करने के बाद भगवान सूर्य के उदय होने का इंतजार करेंगे. सूर्यदेव के उदय के साथ ही छठव्रती उन्हें अर्घ्य देना शुरू कर देंगे. इसमें परिवार के सभी लोग शामिल होते हैं. व्रती भगवान को नमन करेंगे और परिवार के लोगों के साथ मिलकर हवन किया जाएगा. सभी लोगों को टीका लगाकर प्रसाद बांटा जाएगा. इसी के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हो जाएगा. उसके बाद घर पहुंचकर व्रती पारण करेंगी.