आदित्यपुर: झारखंड बीजेपी में सबकुछ ठीकठाक चल रहा यह कहना सही नहीं होगा. इसकी बानगी रविवार को सरायकेला के आदित्यपुर मंडल में देखने को मिला. जहां नगर भाजपा की ओर से आयोजित मिलन समारोह सह वनभोज में बीजेपी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष डॉ रविंद्र राय मंडल में रहते नहीं पहुंचे. वे अपने समाज यानी भूमिहार समाज (अखिल भारतीय ब्रम्हर्षि समाज) के पारिवारिक मिलन सह वनभोज कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे. उनके साथ भाजपा नेता शैलेंद्र सिंह भी मंचासीन रहे. राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है.
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राजनीति के जानकार इसकी भी चर्चा करते सुने गए कि बीजेपी के मिलन समारोह में आदित्यपुर नगर निगम के निवर्तमान मेयर और भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार विनोद कुमार श्रीवास्तव ने भी शिरकत नहीं की. न आरआईटी मंडल का कोई बड़ा चेहरा नजर आया. हो सकता है वे अस्वस्थ्य हों इसकी हम पुष्टि नहीं करते मगर चर्चा जोरों पर है.
अब सवाल ये है कि प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष के लिए जाति बड़ी है या पार्टी ? सवाल आदित्यपुर मंडल बीजेपी पर भी उठ रहे हैं. वो ये कि प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष मंडल में मौजूद हैं और उन्हें आमंत्रित क्यों नहीं किया गया. ऐसी बात तो है नहीं कि दोनों कार्यक्रम आज के आज तय हुआ. इसके लिए महीनों से तैयारी चल रही थीं. बीजेपी के मिलन समारोह पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन, जिलाध्यक्ष उदय सिंहदेव, रमेश हांसदा, मनोज तिवारी, ललन तिवारी, सतीश शर्मा, जिप अध्यक्ष सोनाराम बोदरा, निवर्तमान डिप्टी मेयर अमित सिंह उर्फ बॉबी सिंह, कृष्ण मुरारी झा, अमन कुमार, संजय सरदार, भगवान सिंह, राकेश मिश्रा, बोरजो राम हांसदा, रितिका मुखी, शीला पॉल, विनोती हांसदा सहित बीजेपी का टॉप ऑर्डर मौजूद रहा. अब सवाल ये उठता है कि इन दिग्गजों के रहते प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष चंद लम्हों के लिए भी क्यों नहीं पहुंचे ताकि कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़े. वैसे एक तस्वीर वायरल है जिसमे साफ देखा जा सकता है कि भाजपाइयों ने प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रविंद्र राय से जिले के भाजपाइयों ने मुलाकत कर उनका स्वागत किया. तस्वीर में पूर्व आईपीएस अधिकारी लक्ष्मण प्रसाद सिंह, जिलाध्यक्ष उदय सिंहदेव, उपाध्यक्ष राकेश मिश्रा, निरंजन मिश्रा नजर आ रहे हैं. ऐसे में पार्टी के कार्यक्रम की चर्चा नहीं हुई होगी ऐसा तो हो नहीं सकता फिर रविंद्र राय क्यों नहीं पहुंचे यह समझ से परे है.
हो सकता है बीजेपी का ये अंदरूनी मामला हो मगर जब टॉप ऑर्डर एक ही मंडल में मौजूद हो और आपस में औपचारिक मिलन ही न हो तो चर्चा तो होनी ही है. जानकार मानते हैं कि बीजेपी इसी अंदरूनी कलह और अहं की राजनीति की वजह से आज झारखंड की सत्ता से कोसों दूर चली गई. इसके लिए बीजेपी अलाकमान को टॉप टू बॉटम बड़े बदलाव करने की जरूरत है तभी झारखंड में बीजेपी की सत्ता में वापसी संभव है.
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