Saraikela महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के निर्देश पर समाज कल्याण विभाग सरायकेला की ओर से उपायुक्त अरवा राजकमल ने बुधवार को डायन कुप्रथा के उन्मूलन से सम्बंधित रथ को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि जिलावासियों को जागरूक करने के उद्देश्य से डायन कुप्रथा के उन्मूलन हेतु प्रत्येक स्तर पर प्रयास किये जाने चाहिए. उपायुक्त ने कहा कि डायन कुप्रथा हमारे समाज के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है. इस कुप्रथा को दूर करने के लिए सरकार व जिला प्रशासन प्रतिबद्ध है और हर संभव प्रयास कर रही है. इसी उद्देश्य से जागरूकता अभियान चलाए जा रहे है, ताकि शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक प्रचार- प्रसार कर समाज में फैले अंधविश्वास को दूर किया जा सके. उन्होंने कहा कि महिलाओं को सशक्त व स्वाबलंबी बनाना हम सभी की जिम्मेदारी है. इसमें सखी मंडल की दीदियों का भी पूर्ण सहयोग लिया जाए, जिनके द्वारा अपने क्षेत्र के लोगों को जागरूक किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस विकृत सोच को समाज से खत्म करने और लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से इस वाहन रवाना किया गया है. उपायुक्त ने बताया कि आज के इस आधुनिक युग मे समाज मे कुछ असामाजिक तत्व महिलाओ को डायन बता कर अफवाह फैलाते है जिससे समाज मे ऐसी माता- बहनो को विशेष कर जो अकेली रहती हो या वृद्ध हो उन्हें अपने ही लोगो द्वारा प्रताड़ित किया जाता है. वैसी महिलाओ के सुरक्षा हेतु राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की धारा लागू की गयी है, जिसके अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति इस तरह की गतिविधि करते है तो उन्हें सजा के साथ- साथ जुर्माना भी देना होगा. जिसके वृहद प्रचार- प्रसार हेतु सरायकेला अनुमंडल एवं चंडिल अनुमंडल के लिए प्रचार वाहन रवाना किया गया जिससे प्रति प्रखंड मे 3-3 पंचायत का दौरा कर सभी पंचायत मे प्रचार प्रसार किया जायेगा. उपायुक्त ने जिले के सभी माताओ- बहनो से अपील करते हुए कहा कि डायन प्रथा जैसे मानसिक कुरीतियों को समाज से पूर्ण रूप से खत्म करने में अपना हर संभव योगदान सुनिश्चित करें. आप अपने आस- पास की वैसी महिला जो अकेली है, उन्हें सहयोग दे, ताकि उन्हें इस प्रकार की कुरीतिओं का सामना ना करना पड़े. उन्होंने कहा कि डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम, 2001 के तहत किसी महिला को डायन के रूप में पहचान करने वाले तथा उस पहचान के प्रति अपने किसी भी कार्य, शब्द या रीति से कार्रवाई करने वाले को अधिकतम तीन महीने तक कारावास की सजा अथवा एक हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनों सजा से दंडित करने का प्रावधान है. किसी औरत को डायन के रूप में पहचान कर उसे शारीरिक या मानसिक यातना जानबूझकर या अन्यथा प्रताड़ित करने पर छह माह की अवधि के लिए कारावास की सजा अथवा दो हजार रुपए तक जुर्माने अथवा दोनों सजा से दंडित करने का प्रावधान है. किसी औरत को डायन के रूप में पहचान करने के लिए साक्ष्य या अनवधता से अन्य व्यक्ति अथवा समाज के लोगों को उकसाने या षडयंत्र रचने या सहयोग करने की स्थिति में तीन महीने तक का कारावास अथवा एक हजार रुपए तक के जुर्माने अथवा दोनों सजा से दंडित करने का प्रावधान है. डायन के रूप में पहचान की गई औरत को शारीरिक या मानसिक हानि पहुंचाकर अथवा प्रताड़ित कर झाड़- फूंक या टोटका द्वारा उपचार करने वाले को एक साल तक के कारावास की सजा अथवा दो हजार रुपए तक का जुर्माना अथवा दोनों सजा से दंडित करने का प्रावधान है. उपायुक्त ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि आइए आपसी सहयोग एवं जागरूकता से इस बुराई को समूल नष्ट करने में सरकार का साथ दें. मौके पर समाज कल्याण पदाधिकारी शिप्रा सिन्हा, एसडीओ रामकृष्ण कुमार मौजूद रहे.
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