सरायकेला: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद झारखंड प्रदेश इकाई के आह्वान पर राज्य सरकार के विफलताओ को लेकर सोमवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सरायकेला- खरसावां जिला इकाई द्वारा समाहरणालय परिसर में छात्र गर्जना कार्यक्रम एवं आक्रोश मार्च का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में प्रवासी कार्यकर्ता के रूप में प्रांत अभाविप एसएफडी सह संयोजक सनातन गोराई उपस्थित रहे.
उन्होंने कहा 2019 के विधानसभा चुनाव में विद्यार्थियों को शिक्षा, युवाओं को रोजगार और महिलाओं को सुरक्षा एवं समान अधिकार के वादे पर राज्य की जनता ने हेमंत सोरेन को अवसर प्रदान किया. सरकार को चुनते समय 19 वर्ष का युवा झारखंड आज 24 वर्ष पूरे करने के कगार पर खड़ा है लेकिन अपना वयस्क राज्य झारखंड आज भी गरीबी और कमजोर प्रशासन की मार झेल रहा है. देश के 40 प्रतिशत खनिज संपदा से परिपूर्ण इस राज्य में आज भी लगभग 40 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं.
लगभग 20 प्रतिशत शिशु और बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. तिलका मांझी और सिदो- कान्हू के रक्त से सींचा गया. झारखंड आज भी अपनी तंगहाली पर रो रहा है. यहां के मूलवासी अनाज के लिए तरसते हुए जान दे रहे हैं. राज्य सरकार के मंत्री एवं कई अधिकारियों ने झारखंड को लूट खंड बना कर रख दिया है. सरकार के मुखिया स्वयं सेना की जमीन घोटाले के आरोप में जेल जा चुके हैं और अभी जमानत पर बाहर हैं. मुख्यमंत्री और मंत्रियों एवं सत्ताधारी राजनीतिक दलों के अधिकारियों ने भी राज्य को लूटने में कोई अवसर नहीं छोड़ा. इनके द्वारा खुलेआम जल, जंगल एवं जमीन को मिटाने का प्रयास किया गया. फूलो- झानो के रक्त से सिंचित संथाल की महिलाएं आज स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रही हैं. राज्य में लवजिहाद और लैंड जिहाद झारखंड के आदिवासी समाज और उनकी बेटियों के अस्तित्व को समाप्त करने की तैयारी में है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार आदिवासी समाज की जनसंख्या में 10 प्रतिशत की गिरावट हुई इस बात का साक्ष्य है कि संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ और धर्मांतरण अपने चरम पर है.
जिला संयोजक समीर महतो ने कहा साल में 5 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा हो अथवा झारखंड की बेटियों को प्राथमिक विद्यालय से पीएचडी तक की मुफ्त शिक्षा का वादा, राज्य की महिलाओं को चूल्हा भत्ता देने का वादा हो अथवा राज्य के जनमानस को उत्तम स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने का वादा, सरकार अपने हर वादे को पूरा करने में पूरी तरह से नाकाम रही है. छात्र संघ सह अभाविप नेता प्रकाश महतो ने कहा कि राज्य के युवा, महिला, मजदूर, किसान और आम जनता ने यह महसूस किया है कि लोक लुभावन वादों के साथ सत्ता में आई झारखंड सरकार एक बार पुनः मुफ्त की योजनाएं लाकर राज्य की जनता को दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रही है. अपने पूरे कार्यकाल में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस एवं राजद गठबंधन की यह सरकार युवा, किसान, मजदूर, आदिवासी एवं महिला विरोधी तो रही ही हैं, साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार एवं महिला सुरक्षा जैसे प्रमुख विषयों पर पूरी तरह से विफल रही है.
सरायकेला नगर के पूर्व उपाध्यक्ष मनोज चौधरी ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था किसी भी राज्य की रीढ़ की हड्डी होती है. उच्च शिक्षा में सामान्य विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, एग्रीकल्चर कॉलेज आदि शामिल है. इसका सशक्त होना राज्य के तरक्की के लिए महत्वपूर्ण है. विगत 5 वर्षों में शिक्षा वेंटिलेटर पर आ चुकी है. यहां ना तो विश्वविद्यालय में नियमित कुलपति है ना तो कॉलेज में नियमित प्रधानाचार्य. शिक्षक की कमी का असर गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई पर हो रही है. जिसके कारण झारखंड राज्य के विद्यार्थी बाकी राज्य की तुलना में रोजगार और जीवन मूल्यों के मापदंड में पिछड़ते जा रहे हैं.आखिर इसका जवाबदेह कौन है. झारखंड के संथाल परगना प्रमंडल के रास्ते बांग्लादेशी घुसपैठ लगभग एक दशक से होता आ रहा है. अब यह समस्या जटिल रूप ले चुकी है. इसमें झारखंड में आदिवासी और आदिम जनजातीयों का अस्तित्व खतरे में है. झारखंड सरकार इनके सांस्कृतिक धरोहर को बचाने में पूरी तरह से विफल रही है. झारखंड राज्य में व्याप्त अराजकता एवं विभिन्न शैक्षणिक, सामाजिक, रोजगार, स्वास्थ्य, महिला सुरक्षा के विषय पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा जारी काला दस्तावेज झारखंड सरकार के निरंकुशता का परिणाम है. मौके पर अजय ज्योतिषी, निशांत साहू, रौशन महतो, पूजा सिंह महापात्र, रंजन आचार्य, विकास स्वाई, कृष्णा राणा, विकास महतो, प्रदुन्न महतो, मनी महली व अभिराम महतो समेत सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थें.