सोमवार को भारत बंद के दौरान सरायकेला जिले के चांडिल में व्यवसायियों के साथ झामुमो कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया व्यवहार बहुत ही दु:खद है और लोकतंत्र के नाम पर काला धब्बा है. उक्त बातें रांची सांसद संजय सेठ ने कही. श्री सेठ ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा का यह चरित्र कोई नया नहीं है. इन्होंने आज जो चरित्र दिखाया है, व्यवसायियों के साथ जो दुर्व्यवहार किया है, वह बताता है कि झारखंड सरकार किस कदर इस तरह के आपराधिक और हिंसक कृत्य करने वालों को संरक्षण दे रही है. झामुमो कार्यकर्ताओं का यह व्यवहार सीधे-सीधे सत्ता के संरक्षण में हो रहा है. उससे भी दुःखद और आश्चर्यजनक है, कि पुलिस प्रशासन पूरे मामले पर मूकदर्शक बना हुआ है. सरकारें आती- जाती रहती है, लेकिन प्रशासन को अपनी भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए. पुलिस प्रशासन को किसी भी रूप में राजनीतिक दल के कार्यकर्ता के रूप में काम नहीं करना चाहिए. उन्हें जनता के हित में काम करना चाहिए. परंतु आज सरकार के संरक्षण में प्रशासन ने जिस तरह का संरक्षण झामुमो द्वारा प्रायोजित हिंसा को दिया है, वह किसी भी लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है. प्रशासन इसके दोषियों को अविलम्ब गिरफ्तार करे. उन पर कड़ी कार्रवाई करें अन्यथा भाजपा कार्यकर्ता व्यवसायियों के पक्ष में सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे. इस पूरे प्रकरण के लिए झामुमो को व्यवसायियों से माफी मांगनी चाहिए.
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