राजनगर: सरायकेला जिले के राजनगर प्रखंड के मुरमडीह नीचे टोला के ग्रामीण आज भी नाले का पानी पीने को विवश है. गांव से एक किलोमीटर दूर मुरमडीह नदी किनारे नाला के पास बने एक (झरना नुमा) गड्ढे से पानी निकाल कर अपनी प्यास बुझा रहे है. उसमे भी पानी सूखने का भय ग्रमीणों को सता रहा है.
बता दें कि नीचे टोला में आदिवासी समुदाय के लोग बसे है. जहां लगभग 50 से ज्यादा घर है, जिसकी आबादी लगभग 300 के आसपास है. जहां टोला के लोगों का जीवन नाला के गड्ढे में बसी है. क्योंकि पेयजल का एक मात्र सहारा मुरमडीह का नाला है जिसे ग्रामीण (निमद्रह नाला) कहते है. इसी नाले के पानी का उपयोग ग्रामीण घर में खाना पकाने से लेकर पीने तक करते है.
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बता दें कि मुरमडीह गांव के नीचे टोला में एक सोलर पंप है, जो पिछले चार वर्षों से खराब पड़ा है. सामने लगे नलकूप से पानी निकलता है, मगर खारा पानी जो पीने योग्य नही है. यहां तक कि नीचे टोला के प्रत्येक घर- घर में पानी सप्लाई के लिए पीएचडी विभाग द्वारा नल लगाया गया है. जो केवल दिखावे के लिए. कभी पानी आता है, तो एक सप्ताह या पंद्रह दिनों तक पानी बंद रहता है, जिससे मजबूरन ग्रामीणों को एक किलोमीटर दूर मुरमडीह नाला पानी लाने जाना पड़ता है.
गांव के बाहर सड़क किनारे पीएचडी विभाग द्वारा एक और 15 हजार लीटर का जलमीनार भी कई वर्षो से खराब पड़ा है. ग्रामीण पेयजल संकट से जूझ रहे है. ऐसा नही प्रशासन और जन प्रतिनिधि इनकी समस्या से वाकिफ नही है, जानकारी तो है परंतु इनकी सुनने वाला कोई नही. आखिर ग्रामीण करे तो क्या करें, मजबूरन नाले का पानी पीने को विवश है.
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