झारखंड में अबतक सबसे ज्यादा दिनों तक सत्ता पर काबिज भाजपा और उसके समर्थन की सरकार रही. पिछले डेढ़ साल से सत्ता पर झामुमो, राजद और कांग्रेस समर्थित हेमन्त सोरेन की सरकार काबिज है, लेकिन कोरोना महामारी के कारण राज्य की बुनियादी संरचना चरमरा गई है. इधर खरसावां विधानसभा क्षेत्र के स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर भाजपाइयों ने खरसावां में जोरदार प्रदर्शन करते हुए राज्यपाल के नाम 6 सूत्री मांग पत्र सौंपा. इसके माध्यम से जिला अध्यक्ष विजय महतो ने बताया, कि पूरे खरसावां विधानसभा क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा चुकी है. कुचाई का कल्याण अस्पताल केवल नाम का रह गया है. खूंटपानी के जनजातीय अस्पताल में ना तो चिकित्सक उपलब्ध है ना ही दवाइयां. खरसावां में 11 साल पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा द्वारा 152 करोड़ की लागत से 500 बेड के अस्पताल के लिए आधारशिला रखी गई थी, इसमें से 50% ही काम हुआ है, जबकि 102 करोड रुपए की निकासी हो चुकी है. उन्होंने पूरे मामले की जांच कराते हुए अस्पताल निर्माण की प्रक्रिया पुनः शुरू कराए जाने की मांग की है. साथ ही हरिभंजा में संचालित हो रहे पीएचसी को पुनः सुचारु रुप से शुरू कराए जाने, खरसावां पीएससी का निर्माण कार्य फिर से शुरू कराने की मांग की है. साथ ही चेतावनी दिया है, कि अगर जल्द ही उनकी मांगों पर विचार नहीं की जाती है, तो सड़क से लेकर सदन तक उग्र आंदोलन किया जाएगा. वहीं उन्होंने स्थानीय विधायक पर कमीशन खोरी का आरोप लगाते हुए क्षेत्र की जनता से धोखा करने का आरोप लगाया. उधर भाजपाइयों के इस प्रदर्शन पर झामुमो ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपाइयों से सवाल करते हुए पूछा, कि अब तक झारखंड में सबसे ज्यादा दिनों तक किसकी सरकार रही है ! जिला प्रवक्ता अनूप सिंह देव ने पूछा, कि महज डेढ़ साल के हेमंत सोरेन सरकार से आखिर भाजपाइयों को इतनी अपेक्षा क्यों है ? कोरोना महामारी से त्रस्त झारखंड सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की आधारभूत संरचना महज डेढ़ साल में कैसे पूरा कर सकती है. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री से खरसावां में निर्मित 500 बेड के अस्पताल पर उल्टा सवाल डालते हुए पूछा है कि आखिर कल्याण मंत्री, मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहते अब तक यह अस्पताल क्यों नहीं बना ! क्या इसकी जिम्मेदारी भाजपाइयों को नहीं लेनी चाहिए ?
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