खूंटपानी: आपसी झगडे से तंग आकर अपने तीन मासूम बच्चों को भगवान भरोस छोड कर पति- पत्नी आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु चले गए. दाने- दाने का मोहताज छोटे- छोटे बच्चों के भरण पोषण का एक मात्र सहारा गांव का आंगनबाड़ी केन्द्र है. आंगनबाड़ी में मिलने वाला सूखा चावल मासूम बच्चे पकाकर खाते है. कभी- कभी बच्चे भूखे ही सो जाते है. यह मामला खूंटपानी प्रखंड के होरलोर गांव का है.
इसकी जानकारी खूंटपानी प्रखंड प्रमुख सिद्धार्थ होनहागा को रुईडी पंचायत के वार्ड सदस्य द्वारा दिया गया. प्रमुख को सूचना मिलते ही वे होरलोर गांव पहुंचे और बच्चों का हाल जाना. बताया कि बच्चों के माता- पिता में आपसी तालमेल नहीं था. हमेशा झगड़ते रहते थे. माता- पिता के आपसी झगड़ा का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. तीन महीने से बच्चे अकेले रह रहे है. लगभग 9 वर्ष का मासूम समीर बानरा कक्षा तीन में पढ़ता है. जबकि 7 वर्ष का सुरसिंग बानरा तथा 4 वर्ष का बिरसा बानरा आगनबांड़ी केन्द्र में पढते है. आंगनबाड़ी में जो चावल मिलता है. उन चावल को मासूम बच्चे अपने ही पका के खाते है. कभी- कभी तो भूखे ही सोना पड़ता है. मासूम बच्चों स्थिति बहुत खराब है. श्री होनहागा ने बच्चों के लिए सूखा राशन खरीद कर बच्चों को दिया. बच्चे बहुत भूखे थे. प्रमुख ने चाइल्डलाइन और समाज सेवी प्रकाश लागुरी से संर्पक स्थापित किया है. चाइल्डलाइन के अधिकारी इन बच्चों को कल जिला मुख्यालय ले जाएगे. इस दौरान आंगनबाड़ी सेविका रस्मती बानरा, पंचायत समिति सदस्य बमेया छोड़ा, नरेश पूर्ती आदि उपस्थित थे.