खरसावां: खूंटी लोकसभा क्षेत्र के खरसावां विधानसभा की जनता की दुर्भाग्य कहें, सरकारों की नाकामी या राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता झारखंड गठन के बाद से इस विधानसभा को एक अदद आधुनिक सरकारी अस्पताल मय्यसर नहीं हो सका है, जबकि एक नहीं दो- दो सरकारी अस्पताल यहां प्रस्तावित हैं. एक पिछले 12 साल से अधूरा पड़ा है जबकि दूसरे का टेंडर होने के एक साल बाद निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हो सका है.
हैरान करने वाली बात ये है कि आमदा में निर्माणाधीन 500 बेड के अस्पताल की आधारशिला 18 मई 2011 को तत्कालीन मुख्यमंत्री और खरसावां विधानसभा से तीन बार विधायक चुने गए वर्तमान केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने रखी थी. इसे 26 फरवरी 2014 को पूरा होना था. इसके लिए 152 करोड़ 96 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी. यदि यह अस्पताल बन गया होता तो खरसावां समेत पूरे कोल्हान के लोगों के लिए वरदान साबित होता. 12 साल बाद भी इस अधूरे अस्पताल के बावजूद खूंटी की जनता ने अर्जुन मुंडा को संसद भी भेजा. पांच साल संसद और केंद्रीय मंत्री रहने के बाद भी अर्जुन मुंडा इस अस्पताल का निर्माण कार्य नहीं करा सके. यह अस्पताल आज भी अधूरा है. इसके आधे से अधिक मेटेरियल चोरी हो चुके हैं. इस बार फिर से खूंटी संसदीय सीट से अर्जुन मुंडा बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में मैदान में है. बताया जा रहा है कि इसमें से 120 करोड़ की निकासी हो चुकी है. दावा किया जा रहा है कि 80 फीसदी काम पूरा हो गया है मगर, अभी केवल स्ट्रक्चर खड़ा हुआ है. इसके लिए 25 एकड़ भूखंड अधिग्रहित किए गए हैं. भविष्य में इसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल के रूप में विस्तार करने की योजना थी.
दूसरा 30 बेड का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खरसावां प्रखंड परिसर में प्रस्तावित है. जिसके लिए टेंडर 1 साल पूर्व ही फाइनल हो चुका है. भवन निर्माण विभाग की उदासीनता कहें या राज्य सरकार की लापरवाही आज तक अस्पताल निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है. तर्क दिए जा रहे हैं कि चिन्हित भूखंड में कुछ पेड़ आ रहे हैं जिसे हटाने के लिए वन विभाग से एनओसी की मांग की गई है. हैरान करने वाली बात यह है कि एक साल बाद भी वन विभाग की ओर से एनओसी नहीं दिया गया है जबकि यहां से दो- दो बार विधायक दशरथ गागराई चुने गए हैं, जो सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेता माने जाते हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री रहते अर्जुन मुंडा को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया है. इसे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता कहें, विभागीय लापरवाही या खरसावां की जनता का दुर्भाग्य ! वैसे एकबार फिर से लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज गई है. खूंटी से अर्जुन मुंडा बीजेपी और कालीचरण मुंडा इंडी गठबंधन से चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं. जनता चाहे तो नेताओं से हिसाब ले सकती है.