खरसावां (प्रतिनिधि) कोल्हान की धरती ने कभी गुलामी स्वीकार नहीं की. वृहद झारखंड अलग राज्य आंदोलन की पहली ईंट भी इसी धरती से जयपाल सिंह मुंडा ने रखी थी. 1 जनवरी 1948 की घटना की बात करें तो जब सरायकेला- खरसावां को ओडिशा में विलय कराने का विरोध चल रहा था एवं उसके साथ- साथ झारखंड अलग राज्य की मांग भी उठ रही थी, लोग उड़ीसा में विलय का विरोध के साथ ही अलग राज्य की मांग को बुलंद के लिए जुटे थे. उक्त बातें वृहद झारखंड जनाधिकार मंच के केंद्रीय अध्यक्ष बिरसा सोय ने कहा. उन्होंने कहा कि खरसांवा गोली कांड हुए करीब 75 वर्ष हो गए, लेकिन न तो शहीदों को न्याय ही मिल सका और न ही उनके परिजनों को आज़ाद भारत में खोजने का प्रयास हुआ. हर साल यहां उन्हें नमन और याद करने लोगो के साथ देश और राज्य के नेताओं का जमावाड़ा होता है, लेकिन जिन सवालों को लेकर शहीदों की शहादत हुई, वो अब भी अधूरा है, जबकि देखा जाए, तो कोल्हान में आजाद भारत के बाद इतनी बड़ी घटना हुई. इतिहास को मिटाने का कार्य सभी सत्तादारी पार्टियों ने किया है. ऐसे में शहीदों के हूल को बेकार जाने नही दिया जाएगा. शहीदों के सपनों का झारखंड बनाने के लिए एक और संघर्ष करना होगा.
श्री सोय ने कहा वीर शहीदों के अधूरे सपनों को साकार करने के लिए खरसावां शहीद स्थल से मंच ने उलगुलन को तेज करने की शुरुआत की है. संघर्ष को मंजिल तक पहुचायेंगे. उन्होंने कहा कि एक जनवरी के दिन ही खरसावां हाट में 50 हजार से अधिक आदिवासियों की भीड़ पर ओड़िशा मिलिट्री पुलिस ने अंधाधुंध फायरिंग की थी, जिसमें 25 से 30 हजार लोग शहीद हुए. इस सभा स्थल में संविधान सभा के सदस्य जयपाल सिंह मुंडा स्वतंत्रा अधिनियम के तहत आदिवासी क्षेत्रों के करार की जानकारी देने पहुंचने वाले ही थे, लेकिन पुलिस ने भीड़ को घेर कर बिना कोई चेतावनी दिए निहत्थे लोगों पर गोलियां चलानी शुरु कर दी. आगे बताया कि खरसावां के इस ऐतिहासिक मैदान में एक कुआं था, भागने का कोई रास्ता भी नहीं था. कुछ लोग जान बचाने के लिए मैदान में मौजूद एकमात्र कुएं में कूद गए, पर देखते ही देखते वह कुआं भी लाशों से पट गया. आदिवासी समुदाय के लोग खरसावां को ओड़िशा में विलय किये जाने का विरोध करने के साथ ही वृहद झारखंड अलग राज्य की मांग की आवाज बुलंद कर रहे थे.
झारखंड के विभिन्न हिस्सों से जनाधिकार मंच के कार्यकर्ता श्रद्धांजलि देने पहुंचे
रविवार को खरसांवा के शहीद स्थल पर झारखंड के विभिन्न हिस्सों से वृहद झारखंड जनाधिकार मंच के कार्यकर्ता 1948 में हुए खरसांवा गोली कांड के शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे. कार्यक्रम का नेतृत्व मंच के केंद्रीय अध्यक्ष बिरसा सोय ने किया. मंच की ओर से तैयार सभा स्थल से कतारबद्ध होकर खरसांवा गोली कांड में शहीद हुए शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई. अध्यक्ष बिरसा सोय ने सबसे पहले “ससन बिड दिरी” पर फूल माला और दिरी दुल- सुनुम करके पारम्परिक तरीके से सुमन श्रद्धा आर्पित कर उनकी कुर्बानी को याद किया. तत्पश्चात सभी कार्यकार्ताओं ने शहीदों को नमन किया. इस दौरान “वृहद झारखंड- मजबूत झारखंड” के नारे को बुलंद किया.
नारे लगा कर किया जयकार
इस दौरान मंच के सदस्यों ने शहीदों की याद में नारा लगाया. कार्यक्रम में खरसवां गोली कांड व कोल्हान सहित झारखंड के वीर शहीद अमर रहे, अमर रहे, पोटो हो, केरसा हो, पंडुवा हो, नाराह हो, बोड़ो हो ज़ोरोंग जीत, ज़ोरोंग जीत, ज़ोरोंग जीत. कोचे हो, जोंकों हो, बोरजो हो, रितुई-गुनडुई हो अमर रहे, अमर रहे. वीर बिरसा, सिदो- कान्हू, जयपाल सिंह मुंडा का जय- जयकार करते हुए पुरखो के जेहाद को सदैव जिंदा रखने का आह्वान किया.
इन्होने भी किया संबोधित
श्रंद्धाजलि सभा को कानूनी सलाहकार अधिवक्ता रंजीत गिरी, केंद्रीय महासचिव ज्योतिष माहली, केंद्रीय उपाध्यक्ष लॉरेंस जोजो, जॉनसन गुड़िया, अनूप महतो, राष्ट्रीय चित्रकार रंजीत कुमार, राजकुमार गोराई, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, रेंगो बिरुवा, झरीलाल पात्रा आदि ने संबोधित किया.
इन्होने भी दी श्रंद्धाजलि
मौके पर बिरसा बंकिरा, दुर्गा रजक, जयसिंह होनहागा, राजू मुंडा, संजय कुमार, संजय मेलगांडी, मंगल सिंह मुंडा, भारत उरांव, सोमरा उरांव चैतान पूर्ति, राजेश तियू, जादू मुंडा, आकाश मुंदुईया, टिंकू हेंब्रम, राजेंद्र आमंग हिन्दू बनसिंह, सन्नी रघु, दामु पूर्ति मनीष उरांव सहित अन्य ने श्रंद्धाजलि दी.