रविवार को आनंद मार्ग आश्रम कांड्रा में आनन्द मार्ग प्रचारक संघ द्वारा नववर्ष धर्म महा सम्मेलन में सरायकेला खरसावां जिला को जनसेवा के लिए सर्वश्रेस्ठ भुक्ति का पुरस्कार दिये जाने पर हर्ष व्यक्त किया गया. इस मौके पर आनन्द भोज एवं कीर्तन का आयोजन किया गया. जिसमें आसपास के आनन्द मार्गियों ने भाग लिया. इस मौके पर आनन्द मार्ग प्रचारक संघ सरायकेला खरसवां के भुक्तिप्रधान श्री जगदीश ने कहा शरणागति क्या है, शरण का अर्थ है अनन्य ममता बिष्णुर्ममता प्रेम संगाथार्त और वस्तुओं से मन को हटाकर जब एक ही को अपना चरम तथा आश्रय के रूप में मनुष्य मान लेते हैं, तब उसको कहते हैं शरण अर्थात किन्हीं दो वस्तुओं की शरण में कोई सत्ता नहीं रह सकती, तो शरणागति माने तब क्या है, न जीव जब सोचता है, अहंबोध को छोड़ देता है. जीव जब तक सोचता है, कि मैं मेरी शक्ति से काम कर रहा हूं, तब तक समझ लो, कि उनमें शरणागति की भावना नहीं आई है, और यही सोचते हैं कि मैं काम कर रहा हूं. उनकी शक्ति से सब समझ लो कि उनमें शरणागति की भावना आ गई है , इसके बाद चारणागति एवं परमागति की प्राप्ति होती है. इस मौके पर गोपाल बर्मन, बसन्त राम देव नीरज कुणाल दास, कालीचरण महतो इत्यादि मौजूद थे.
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