जस्टिस कौशिक चंदा (Justice Kaushik Chanda) को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) की सिफारिश के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) का स्थायी जज नियुक्ति किया गया है.
जस्टिस कौशिक चंदा इससे पहले भी खबरों में रहे हैं. एक मामले की सुनवाई को लेकर टीएमसी (TMC) उनके खिलाफ आपत्ति दर्ज करा चुकी है. दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम केस की सुनावई वाली बेंच से उन्हें अलग करने की मांग की थी. चंदा पर टीएमसी ने बीजेपी से संबंध होने के आरोप लगाए थे और कहा था कि इससे फैसला प्रभावित हो सकता है. हालांकि बाद में जस्टिस कौशिक चंद ने खुद ही इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने जज के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया था. टीएमसी ने जज कौशिक चंदा की तस्वीर जारी की थी जिसमें वह बीजेपी के मंच पर दिख रहे थे. इस साल 16 जून को ममता बनर्जी ने कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि नंदीग्राम पर याचिका को जस्टिस कौशिक चंदा की बेंच को सूचीबद्ध नहीं किया जाना चाहिए.
अपने पत्र में उन्होंने चंदा की हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में पुष्टि के लिए अपनी पिछली आपत्ति का उल्लेख किया. अपने वकील के माध्यम से भेजे गए अपने पत्र में ममता बनर्जी ने जज की ओर से पक्षपात की आशंका व्यक्त की थी और आशंका जताई कि चंदा “बीजेपी के सक्रिय सदस्य” रहे हैं. बता दें कि सीएम ममता बनर्जी ने नंदीग्राम के चुनावी नतीजे को कलकत्ता हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. उन्होंने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया. इस सीट पर ममता को कभी उनके करीबी रहे और बीजेपी प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी ने करीब 2 हजार वोटों से हराया था. यह मामला फिलहाल कोर्ट में है.