रांची: बुधवार को कैबिनेट की बैठक में 43 प्रस्तावों पर मुहर लगी है. सरकार ने 1932 का खतियान लागू करने और 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. गौरतलब है कि 5 सितंबर को विधानसभा के 1 दिवसीय विशेष सत्र के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि उनकी सरकार बहुत जल्दी 1932 का खतियान लागू करने और उस पर आधारित स्थानीय नियोजन नीति लाने तथा ओबीसी आरक्षण लागू करने के प्रति प्रतिबद्ध है.
बता दें कि जनवरी 2022 से ही झारखंड में 1932 के आधार पर स्थानीय नीति लागू करने की मांग को लेकर आंदोलन हो रहा है. इसे लागू कराने में कई संगठन सक्रिय हैं.
गौरतलब है कि इसे झारखंड के स्थानीय निवासी की परिभाषा और पहचान हेतु विधेयक- 2022 के तहत मंजूरी मिली है. वैसे व्यक्ति जिनका या
जिनके पूर्वजों का नाम 1932 के खतियान में दर्ज है, वो झारखंड का स्थानीय निवासी माना जाएगा. यदि किसी का खतियान पठनीय नहीं है या उसका नाम खतियान में दर्ज नहीं है तो उस व्यक्ति की पहचान ग्राम सभा द्वारा की जाएगी. इस विधेयक को पारित होने के बाद केंद्र के पास 9वीं सूची में शामिल करने हेतु भेजा जायेगा.
यही नहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ विधायक लोबिन हेंब्रम भी बीते कई महीने से 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नियोजन नीति लाने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं. उन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. गौरतलब है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने चुनावी मेनिफेस्टो में वादा किया था कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो 1932 के खतियान को आधार बनाकर स्थानीयता को पारिभाषित करेगी. हालांकि मार्च 2022 में विधानसभा में मुख्यमंत्री ने कहा था, कि 1932 का खतियान लागू करना व्यवहारिक नहीं है. इससे झारखंड में आग लगेगी. प्राप्त जानकारी के मुताबिक आजादी के पश्चात अंतिम सर्वे सेटलमेंट केवल सिंहभूम इलाके में हुआ था. ये सर्वे 1960 से 1964 के बीच हुआ था. मौजूदा झारखंड प्रदेश के अन्य इलाकों में 1932 के पहले ही अंतिम सर्वे सेटलमेंट हुआ था. बता दें कि साल 2002 में तात्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने 1932 को आधार बनाकर स्थानीयता परिभाषित करने का प्रयास किया था, लेकिन आरजेडी विधायकों के विरोध की वजह से उनको अपना सीएम पद गंवाना पड़ा था. 2014 में रघुवर दास के कार्यकाल में स्थानीय नीति पारिभाषित की गई. तब 1985 से प्रदेश में रहने वाले लोगों को भी स्थानीय माना गया था.