चांडिल: गुरुवार को हेमेंत सोरेन ने राज्य के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण कर लिया है. जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा. इसबार के चुनाव में इंडिया महागठबंधन ने राज्य में उम्मीद से ज्यादा सीटें हासिल करने में सफल रही है. इस बार के चुनाव में कई दिग्गज धराशायी हुए तो कइयों ने चौंका दिया. आज हम जिस सीट की चर्चा कर रहे हैं वह सीट ईचागढ़ विधानसभा की है. इस सीट से सविता महतो लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने में सफल रही. ऐसा कारनामा करनेवाली इस सीट से वह पहली विधायक बनी हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव के साथी रहे इसबार साथ नहीं रहे. सविता की सादगी ने उन्हें दुबारा विधनसभा भेजने में मददगार रहा.
पूरे चुनावी कैम्पेनिग के दौरान बाहरी- भीतरी का नारा हावी रहा इन सबको दरकिनार करते हुए क्षेत्र की जनता ने उन्हें अपार जनसमर्थन देकर करीब 27 हजार से भी अधिक मतों से विजयश्री दिलाई. पहले राउंड से ही सविता ने जो बढ़त बनाई यह सिलसिला 17वें राउंड तक जारी रहा. उनके जीत के असल नायक राजीव महतो उर्फ क़ाबलू रहे. सभी विधानसभा चुनाव आते आते सभी पुराने सहयोगियों ने साथ छोड़ दिया मगर क़ाबलू साये की तरह उनके साथ डटे रहे और विरोधियों के सारे मंसूबों पर खामोशी से पानी फेरते रहे. उन्होंने किसी भी मंच से विरोधियों के दुष्प्रचार का कोई जवाब नहीं दिया न ही सविता महतो को हतोत्साहित होने दिया.
सविता के जीत की दूसरी सबसे बड़ी नायिका उनकी छोटी पुत्री स्नेहा महतो रही. स्नेहा 2019 से ही अपनी मां के चुनावी सभाओं में सक्रिय रहीं. क्षेत्र की जनता के साथ सादगी से मिलना, उनकी समस्याओं का समाधान करना और सबसे अलग उनकी शालीनता से जनता ज्यादा प्रभावित रही. स्नेहा ने अपने कुशल निर्देशन में अपनी मां को लगातार दूसरी बार विधानसभा पहुंचाया इससे इंकार नहीं किया जा सकता. इसके साथ ही स्नेहा ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. राजनीति स्नेहा को विरासत में मिली है इसका उन्होंने बखूबी प्रयोग किया. इसके साथ ही इसकी भी संभावना प्रबल होने लगी है कि स्नेहा अगले लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर लोकसभा सीट की प्रबल दावेदार हो सकती है.
अब देखना यह दिलचस्प होगा कि हेमंत सोरेन की नई सरकार में सविता की क्या भूमिका होती है. ईचागढ़ जैसे सीट से लगातार दूसरी बार विधानसभा पहुंचने वाली सविता महतो शहीद निर्मल महतो के छोटे भाई पूर्व उपमुख्यमंत्री स्व. सुधीर महतो की धर्मपत्नी हैं. दिशोम गुरु शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति उनका पूरा परिवार समर्पित रहा है. उन्होंने भी कभी इस परिवार को अकेला नहीं छोड़ा. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में सविता महतो को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है.