सरायकेला: मंगलवार को ईचागढ़ में स्थानीय किसानों की एक बैठक आयोजित की गई. जिसमें किसानों की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की गई. इस दौरान अन्नदाताओं के दर्द का गुबार फूट पड़ा. बैठक में मौजूद किसानों ने कहा कि एक ओर जहाँ मौसम की मार से पहले ही भारी मात्रा में धान की फसल बर्बाद हो चुकी है. अधिकांश वैसे किसान जिनका जीवनयापन का एकमात्र उपाय धान की खेती है, उनकी कमर पहले ही टूट चुकी है. ऊपर से धान खरीद की दिशा में राज्य सरकार के लचर रवैये से रही-सही आस भी टूटती नज़र आ रही है. उन्होंने आगे बताया कि जितने भी स्थानीय लैम्प्स में धान खरीद केंद्र बनाए गए हैं, वे सब इस वर्ष महज तीन-चार दिन ही खुले हैं. इसके बाद विगत तकरीबन एक महीने से सभी धान खरीद केंद्र बंद पड़े हैं. संबंधित पदाधिकारियों से बात करने पर कहा जाता है कि लैम्प्स गोदाम फुल हो चुका है इसलिए धान खरीद बंद है. ऐसे में किसान बेबस और किंकर्तव्यविमूढ़ हैं और अपने धान स्थानीय व्यापारियों को औने-पौने दामों पर बेचने को विवश हैं. इस तरह से किसानों को अपनी उपज का लागत मूल्य भी वापस नहीं मिल पा रहा है. यह साल का शुरूआती दौर है जबकि किसान पूरे वर्ष भर आजीविका कैसे चलाएंगे इस बात की चिंता उनके माथे पर साफ नज़र आ रही है. किसानों ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा है कि अगले दो-तीन दिनों के भीतर अगर धान खरीद केंद्र नहीं खोले गए तो निश्चित तौर पर वे आत्महत्या करने को मजबूर होंगे. बैठक में मुख्य रूप से जिप सदस्य भूषण मूर्मू,पातकुम पंचायत के उपमुखिया अमरनाथ यादव, असित प्रमाणिक, छुटू मंडल सहित काफी संख्या में किसान उपस्थित थे.
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