सरकार बदली मगर सूरत नहीं. जमशेदपुर के गैर कंपनी इलाकों का बुरा हाल है. सरकार और सरकारी तंत्र भले लाख दावे कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी दावों से कोसों दूर नजर आ रही है. जमशेदपुर के गोविंदपुर खखरीपाड़ा के लोगों के आक्रोश का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि बजबजाती गंदगी और बदहाल सड़कों और नालियों से परेशान क्षेत्र के लोग दलों की मर्यादाओं को भूल एक मंच पर जुटे और बैठक कर आंदोलन की रणनीति बनाई. खखरीपाड़ा से होकर गुजरनेवाली सड़क सीधे राजधानी रांची को जोड़ती है जहां बजबजाती गंदगी और खस्ताहाल सड़कों से होकर सैकड़ों लोगों को चलने के लिए विवश होना पड़ता है.
ना तो जनप्रतिनिधियों को इसकी चिंता है, ना ही स्थानीय प्रशासन को. यहां तक की क्षेत्र में बड़ी औद्योगिक इकाई स्टील स्ट्रिप व्हील्स भी स्थापित है. वैसे कहने को तो स्टील स्ट्रिप कंपनी ने सीएसआर के तहत 3- 3 सफाई कर्मियों की तैनाती की है, लेकिन उन सफाई कर्मियों का कोई अता पता नहीं. इसको लेकर लोगों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है. गुरुवार को स्थानीय लोगों ने बैठक कर एक साझा रणनीति तैयार करते हुए सरकार और जिला प्रशासन से नारकीय जीवन से मुक्ति दिलाने को लेकर रणनीति तैयार की है. स्थानीय लोगों के अनुसार सरकार अगर इस ओर ध्यान नहीं देती है, तो आगे उग्र आंदोलन को बाध्य होना पड़ेगा. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस मार्ग पर हर दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही है. गंदगी से संक्रमण का खतरा भी फैलने की चिंता सता रही है. वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के तीसरे लहर की संभावना बनी हुई है. ऐसे में अगर जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है.
Exploring world