गम्हरिया: सरायकेला जिले के गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत जिलिंगोड़ा स्थित खेरवाड़ जाहेरगढ़ में बुधवार को बाहा बोंगा की धूम रही. दिन में जहां जाहेरगढ़ में विधि विधान से पूजा अर्चना हुई वहीं शाम से जाहेरगढ़ में पारंपरिक नाच- गान का दौर शुरू हुआ जो अगले पांच दिनों तक चलेगा. इसका शुभारंभ सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने मांदल पर थाप देकर किया.


इससे पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री बाहा बोंगा की पूजा में भी शामिल हुए. इस मौके पर उनका पूरा परिवार शामिल रहा. पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रकृति पूजन के इस पर्व को रूढ़िवादी प्रथा का एक बड़ा पर्व बताया. उन्होंने कहा कि हमारे समाज के अनेकों पूर्वजों ने रूढ़िवादी परंपरागत को बचाने के लिए अपनी कुर्बानियां दी हैं. जिस उद्देश्य के लिए अलग झारखंड राज्य का गठन हुआ वह आज भी अधूरा है. हमारे रूढ़िवादी प्रथा का दोहन किया जा रहा है. हमारे समाज के लोगों का जबरन धर्मांतरण हो रहा है. बांग्लादेशी घुसपैठिये की नजर हमारी बहू- बेटियों पर है. इसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसलिए हमने 23 मार्च से वीर शहीद सीदो- कान्हू की धरती से आदिवासियों के रूढ़िवादी परंपरा को बचाने के लिए संथाल की धरती से उलगुलान का ऐलान किया है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि 23 मार्च से हम उन सभी राज्यों का दौरा करेंगे जहां हमारे समुदाय के लोग रहते हैं. इसके अलावा नेपाल और बांग्लादेश का भी दौरा करेंगे और वहां भी उनके हक और हुकूक की आवाज बुलंद करेंगे. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 45 साल तक हमने राजनीति के कई रूप देखे. संघर्ष से सत्ता के शिखर तक का सफर किया मगर सत्ता में बैठे लोग यहां के आदिवासी- मूलवासियों के हित की बात नहीं करते. पांच महीने के लिए मेरे हाथों में भी सत्ता थी. हमने जिस कैलेंडर के जरिये विकास का रोडमैप तैयार किया था वह राज्य के आदिवासी हितैषी सरकार को नागवार गुजरा और मुझे सत्ता से अपमानित करके बेदखल कर दिया. मगर अब एकबार फिर से बड़ा आंदोलन होगा और आदिवासी- मूलवासियों को उनका हक और अधिकार दिलाया जाएगा.
