चांडिल: सरायकेला- खरसावां जिले के चांडिल थाना क्षेत्र के छोटालाखा मौजा पर स्थापित बिहार स्पंज आयरन लिमिटेड/ बनराज स्टील कंपनी में आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं. कंपनी में होने वाली दुर्घटनाओं को लेकर स्थानीय लोग प्रबंधन की लापरवाही बता रहे हैं. दुर्घटनाओं में मजदूर घायल हो रहे हैं.
वहीं, अबतक दो मजदूर अपनी जान भी गवां चुके हैं. पिछले दिनों कीलन ब्लास्ट में एक साथ सात मजदूर झुलस गए थे, जिसमें से दो मजदूरों की मौत हो चुकी हैं, जबकि अन्य घायलों का इलाज चल रहा है. 21 अप्रैल को कंपनी के आरएमपी (रॉ मेटेरियल प्लांट) में फिर एक बड़ी घटना घटी है, जिसमें मेकेनिकल फीटर राहुल नामता की जान बाल- बाल बची है, लेकिन वह गंभीर रूप से घायल हुआ है. उआरएमपी के बेल्ट में हाथ फंसने के कारण उसका का एक हाथ टूट गया है. कंपनी के संवेदक ने आनन- फानन में उसे आदित्यपुर स्थित एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया है, जहां उसके हाथ का ऑपरेशन करना पड़ा है. सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस दुर्घटना की खबर को प्रसारित होने से रोकने के लिए घायल राहुल नामता को संवेदक और कंपनी प्रबंधन के अधिकारियों ने दबाव बनाया और स्थानीय पत्रकारों को फोन करके झूठी कहानी कहने को मजबूर किया.
घायल राहुल नामता ने पत्रकारों को फोन में बताया है कि सीढ़ी से गिरने के कारण उसे हल्की सी चोट आई हैं, वह बिल्कुल ठीक है और अपने घर पर है, जबकि गुरुवार रात को घायल राहुल नामता के टूटे हुए हाथ का ऑपरेशन हुआ है. वह शुक्रवार को भी अस्पताल में इलाजरत है. इस पूरे प्रकरण ने कंपनी प्रबंधन की पोल खोल दी है. आखिर प्रबंधन के अधिकारी मीडिया से दूर क्यों भाग रहे हैं? प्रबंधन क्यों किसी भी घटना को छिपाने का प्रयास कर रही हैं ? इसके पीछे यह भी हो सकता है, कि कंपनी में होने वाली दुर्घटनाओं में प्रबंधन की लापरवाही है. पिछले दिनों बिहार स्पंज आयरन लिमिटेड वर्कस यूनियन के अधिकारियों ने भी कहा था कि कंपनी में हुई दुर्घटना का जिम्मेदार प्रबंधन है. वर्कर्स यूनियन ने बताया है कि कंपनी में सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति नहीं किया गया है और यहां काम करने वाले मजदूरों को किसी तरह का सेफ्टी इक्यूपमेंट उपलब्ध नहीं कराया जाता हैं.
*इतनी बड़ी कंपनी लेकिन अपना एम्बुलेंस नहीं*
फैक्टरी एक्ट और श्रम विभाग के नियमानुसार कंपनी का अपना एम्बुलेंस तथा प्राथमिक चिकित्सा की सारी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए ताकि आपातकाल स्थिति में किसी भी दुर्घटना में घायलों को तत्काल एम्बुलेंस से अस्पताल तक पहुंचाने में सहूलियत हो. वहीं, प्राथमिक चिकित्सा के तहत डॉक्टर, नर्स एवं आवश्यक दवा भी उपलब्ध होनी चाहिए. साधारण चोट या स्वास्थ्य बिगड़ने पर तत्काल कंपनी परिसर में ही इलाज हो सके, लेकिन यह जानकर हैरानी होगी कि इतनी बड़ी कंपनी में उत्पादन शुरू हो चुका है, सैकड़ों मजदूर काम कर रहे हैं, लेकिन कंपनी का अपना एक एम्बुलेंस भी नहीं है, और ना ही डिस्पेंसरी है.
पिछले दिनों मार्च महीने में ही पंचग्राम विस्थापित एवं प्रभावित समिति की ओर से कंपनी प्रबंधन को एक ज्ञापन सौंपा गया था, ज्ञापन में एम्बुलेंस उपलब्ध कराने, डिस्पेंसरी चालू करने तथा डिस्पेंसरी में डॉक्टर देने की मांग की गई थी. बावजूद इसके प्रबंधन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. नतीजतन सात अप्रैल महीने में कीलन बलास्ट में सात मजदूर घायल होने पर तत्काल घायलों को अस्पताल ले जाने की कोई व्यवस्था नहीं थी. कंपनी का अपना एम्बुलेंस नहीं होने के कारण घायलों को करीब चार घंटे बाद टीएमएच पहुंचाया गया था. लोगों की माने तो चार घंटे विलंब से अस्पताल पहुंचने के कारण ही दो मजदूर की मौत हुई थी, यदि तत्काल इलाज शुरू हो जाती तो शायद सभी मजदूर आज जीवित रहते.