जमशेदपुर: झारखंड में चल रहे बाहरी- भीतरी के लामबंदी के बीच भाजपा नेता सुनील सिंह ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और जेबीकेएसएस को खुली चुनौती देते हुए कहा है कि झारखंड किसी की बपौती जागीर नहीं है. जितना अधिकार यहां के आदिवासियों- मूलवासियों का है उतना ही अधिकार बिहारी और अन्य समुदायों का भी है. सभी ने झारखंड आंदोलन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है. भारतीय जनता पार्टी ने यदि पहल नहीं की होती तो आज झारखंड अलग राज्य का सपना सपना ही हुआ होता. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की देन है कि आज अलग झारखंड राज्य का सपना साकार हुआ. उस वक्त कोई बाहरी भीतरी का नारा नहीं था, बस एक ही नारा था, अलग झारखंड राज्य हमारा हो, मगर अब सत्ता के लालच में 1932 खतियान और आदिवासी मूलवासी का नारा देकर झारखंड को अशांत करने का प्रयास किया जा रहा है.
श्री चौहान ने कहा कि गद्दी के लालच में हेमंत सोरेन एवं अन्य कोई भी नेता बाहरी- भीतरी के नाम पर जनता को लड़ाने की गलती न करें. भाजपा नेता सुनील सिंह चौहान ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि विगत कुछ सालों से देखता आ रहा हूं, कि चाहे राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हो, या उनकी पार्टी के नेता वे खुलकर बिहारी विरोधी राजनीति कर अपना चेहरा चमकाने में लगे है. उन्होंने जेबीकेएसएस के मुखिया जयराम महतो पर भी तंज कसते हुए कहा कि सब बिहारी और आदिवासी के नाम पर राजनीतिक रोटी सेकने का लगातार प्रयास कर रहे है. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन जी झारखंड आपके पिताजी की संपत्ति नही है जो आप किसी को यहाँ से भगा दोगे. जिस तरह आप अपने पिता के बेटे हो उसी तरह झारखंड भी बिहार का ही अंग था. बिहार के समय कुछ लोग ऐसे भी है जिनका जमीन पटना में था, और धंधा रांची में चलता था, तो वैसी स्थिति में आप किस आधार पर किसी को बाहरी के नाम पर भगा सकते हो. भोले- भाले आदिवासियों को बिहारी के नाम पर बहका कर राजनीतिक रोटी सेकना बंद करें चाह वो कोई भी नेता हो, आपके कुकर्मों को बर्दाश्त नही किया जाएगा. मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. उन्होंने जयराम महतो को भी खुली चुनौती देते हुए कहा कि 1932 खतियान के नाम पर यहां के बिहारियों या अन्य समुदाय के लोगों को परेशान न करें अन्यथा आनेवाले दिनों में गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.