आदित्यपुर नगर निगम हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही है. सीवरेज ड्रैनेज और जलापूर्ति योजना में किरकिरी होने के बाद अब इसकी मॉनिटरिंग जिला प्रशासन के हाथों में चली गई है. वहीं क्षेत्र में गंदगी का भी बुरा हाल है. भले निगम प्रशासन लाख दावा कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. सड़को- गलियों का गंदगी से बुरा हाल है. कहीं- कही के प्रभावशाली पार्षद अपने क्षेत्र की साफ- सफाई कराने का दंभ जरूर भरते हैं, लेकिन ज्यादातर वार्डों के लोग नारकीय जीवन जीने को विवश हैं. विभागीय अधिकारी भी कोरोना के कारण सुस्त पड़ चुके हैं. वैसे सड़कें और गलियों को छोड़ दें तो सोसायटी और शॉपिंग कॉप्लेक्स भी गंदगी से पटे पड़े हैं. कचरों का नियमित निस्तारण नहीं होने से जहां- तहां कचरों का अंबार लग गया है. ये जो तस्वीर आप देख रहे हैं. ये टाटा- कांड्रा मुख्य मार्ग पर स्थित शेर- ए- पंजाब के सर्विस रोड से सटे आनंद भवन कॉम्पलैक्स का है. यहां कई किराएदार और दुकानदार के अलावा सरकारी विभाग का कार्यालय भी है, लेकिन नियमित सफाई नहीं होने के कारण कॉम्पलेक्स में गंदगी का अंबार लग गया है. गंदगी भी ऐसी कि 24 घंटे उससे बदबू फैलती रहती है. यहां रह रहे लोगों का इससे बुरा हाल है. स्थानीय पार्षद को इसकी चिंता नहीं. विभाग को इसकी जानकारी है, या नहीं बता नहीं सकते. वैश्विक महामारी के बीच यहां रह रहे लोगों को गंदगी के कारण बरसात में फैलनेवाले दूसरे संक्रामक बीमारियों का खतरा सता रहा है.
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