अदित्यपुर: बुधवार को बिजली विभाग द्वारा पीएचडी के आवसीय परिसर में किए गए कार्रवाई का indianewsviral.in में भेद खुलते ही देर रात विभाग की ओर से आनन- फानन में परिसर के अतिक्रमणकारियों का नाम जोड़कर थाने में एफआईआर दर्ज कराया गया. इससे पूर्व महज चार सरकारी आवंटियों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी चल रही थी.
हमने इस मामले की पड़ताल में पाया कि विभाग के जूनियर लाइनमैन और विभागीय अधिकारियों के जुगलबंदी की वजह से क्षेत्र के गरीब उपभोक्ता कराह रहे हैं, जबकि रसूखदार उपभोक्ताओं की चांदी कट रही है. आलम ये है कि लाइनमैन जिस मकान और झुग्गियों की ओर अधिकारियों को इशारा करते है, अधिकारी उसी गरीबों पर जुर्माना ठोंकर अपनी पीठ थपथपाते है. नतीजा गरीबों को न केवल भारी- भरकम जुर्माना चुकाना पड़ रहा बल्कि कोर्ट- कचहरी का चक्कर भी काटना पड़ रहा है.
बुधवार को विभाग ने एक और दुर्भवना से ग्रसित कार्रवाई की थी, जो क्षेत्र के उपभोक्ताओं में चर्चा का विषय बना हुआ था. आपको बता दें कि बुधवार को विभाग ने अवर प्रमंडल अदित्यपुर- 1 कार्यालय से दो सौ मीटर की दूरी पर स्थित पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के आवासीय परिसर में दबिश दी थी. यहां तीन- चार सरकारी आवंटियों के घरों में छापेमारी करते हुए जुर्माना लगाया था. जबकि पूरे पीएचडी परिसर में बसे अवैध कब्जाधारियों के घरों की ओर विभाग के अधिकारी या कर्मियों ने झांका तक नहीं, जबकि उनका पूरा निर्माण ही अवैध है. ऐसे में कई सवाल उठने लगे थे. खबर प्रकाशित होते ही मजह कुछ घंटों के भीतर आवेदन में बदलाव करते हुए चार अवैध कब्जा धारियों का नाम जोड़कर एफआईआर दर्ज कराया है. सवाल ये उठता है कि वैसे अतिक्रमणकारी बिजली कैसे जला रहे है और विभाग द्वारा उन्हें कनेक्शन कैसे दिया गया है ? हमने अपनी रिपोर्ट में इसका भी जिक्र किया है कि जेई और जूनियर लाइनमैन के बीच सांठगांठ की वजह से गरीबों को निशाना बनाया जा रहा है और कुछ खास सफेदपोशों के इशारे पर मैनेज के एवज में मोटी डील होती है, जिसने दे दिया उसे छोड़ दिया जाता है, जो मैनेज करने में विफल होता है उसे कानूनी पचड़े में धकेल दिया जाता है. विभाग के इस कार्रवाई पर हमारी रिपोर्ट पर भी मुहर लग गई है. वैसे अकेले अदित्यपुर में दर्जनों सरकारी विभाग से लेकर सैकड़ों रसूखदारों के यहां विभाग का करोड़ों बकाया है, जिसपर विभाग के अधिकारी कभी कार्रवाई करने की हिमाकत नहीं जुटा पाते. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यहां जूनियर लाइनमैन बीस- बीस सालों से जमे हैं. उन्हें एक- एक मुहल्लों की जानकारी है. वे अपने मन मुताबिक़ मुहल्लों में अधिकारियो को लेकर जाते हैं. इतना ही नही अपने शुभचिंतकों के घरों य संस्थानों की तरफ उन्हें झांकने भी नहीं देते. एक- एक जूनियर लाइनमैन लाखों- करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर चुके हैं. जिनके खिलाफ न कभी कोई विभागीय जांच होता है, न ही इन्हें यहां से हटाया जाता है. जो भी अधिकारी यहां आते हैं इनके आगे नतमस्तक हो जाते हैं और इनके इशारे पर नाचते हैं. समय रहते इन कर्मियों पर नकेल नहीं कसा गया तो क्षेत्र के कई गरीब उपभोक्ता इनके शिकार बनेगें इससे इंकार नहीं किया जा सकता.