आदित्यपुरः झारखंड अग्निशमन विभाग के हेड क्वार्टर उप महानीरिक्षक (डीआईजी) दीपक कुमार सिन्हा शनिवार को सरायकेला- खरसावां जिले के आदित्यपुर स्थित अग्निशमन केंद्र पहुंचे. जहां उन्होंने केंद्र के कार्यों का नीरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने विभाग के क्रियाकलापों के विस्तार से अध्ययन करते हुए कई अहम जानकारियां मीडिया से साझा की.
श्री सिन्हा ने बताया कि झारखंड में बीते दिनों हुए दो बड़ी घटनाओं के बाद सरकार विभाग को सशक्त बनाने में जुटी है. उन्होंने बताया कि जमशेदपुर के मानगो टायर गोदाम में हुए अग्निकांड और देवघर के त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसे के बाद सरकार अग्निशमन विभाग को और मजबूत और कारगर बनाने में जुटी है. उन्होंने बताया कि पूरे राज्य में 41 फायर स्टेशन हैं. सरकार इसे प्रखंड स्तर तक संचालित करने की तैयारी कर रही है. उन्होंने कहा कि आग से बचाव मुफ्त सेवा के दायरे में आती है, मगर इसका लोग गलत दुरूपयोग कर रहे हैं. जिसको लेकर विभाग गंभीर है. फायर सेफ्टी नियमों को सख्ती से लागू करने और लोगों को आग से बचाव को लेकर जागरूक करने के उद्देश्य से उनका यह दौरा है. बता दें कि लंबे समय बाद अग्निशमन विभाग का किसी पदाधिकारी द्वारा निरीक्षण किया गया है.
उन्होंने बताया कि फिलहाल वे जनवरी से सितंबर तक के फाइलों की जांच कर रहे है. सरकार के पास संसाधन की कोई कमी नहीं है, उसे इंप्लीमेंट कराना होगा. उनका यह दौरा उसी उद्देश्य से चल रहा है. साथ ही विभागीय अधिकारियों को काम से संबंधित कई जानकारियां दी जा रही हैं, ताकि पूर्व के क्रियाकलापों से अलग हटकर कार्य किया जा सके. उन्होंने कहा कि अगले दो महीनों में विभाग में हो रहे बदलाव के संकेत दिखने लगेंगे.
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नियमों का उल्लंघन कर बने भवनों का होगा जांच, जरूरत पड़ी तो सील किया जाएगाः डीआईजी
डीआईजी दीपक कुमार सिन्हा ने आदित्यपुर सहित कोल्हान के तमाम वैसे बिल्डरों को सख्त संकेत दिए हैं, जिन्होंने फायर सेफ्टी कानून को ताक पर रखकर भवनों का नक्शा तो पास करा लिया मगर सोसायटी के लोगों की जान जोखिम में बनी रहती है. उन्होंने विभागीय अधिकारियों को वैसे भवनों को चिन्हित कर नोटिस देने और स्पष्ट जवाब नहीं देने पर सील करने का प्रतिवेदन समर्पित करने का निर्देश देते हुए कहा आप बगैर किसी की पैरवी सुने कार्रवाई करें विभाग उनके साथ खड़ा है.
किराए के भवन में विभाग सही नहीं, मामले की जांच कर अध्यतन जानकारी ली जा रही है
आदित्यपुर अग्निशमन विभाग का अपना भवन नहीं होने के सवाल पर श्री सिन्हा ने कहा इसकी उन्हें विस्तृत जानकारी नहीं है. आवास बोर्ड द्वारा विभाग को जमीन आवंटित किया गया है, पड़ोसी द्वारा उसपर अतिक्रमण कर लिया गया है. मामला हाईकोर्ट में लंबित है. इस संबंध में सरकार से पत्राचार तेज किया जाएगा. उन्होंने कहा इस संबंध में विस्तृत जानकारी नहीं है, फिर भी सरकार इस विभाग को लेकर गंभीर है. सरकार के संज्ञान में मामला जाते ही इसपर गंभीरता दिखाएगी. विभागीय स्तर पर यदि कहा जाए तो फारय ब्रिगेड जैसे अनिवार्य सेवा का अपना भवन नहीं होना चिंता का विषय है.
अग्निकांड के बाद जांच प्रतिवेदन से मीडिया को अवगत कराया जाएगा
आम तौर पर इंडस्ट्रीज में अगलगी की घटनाओं पर मीडिया को परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दी जाती है. जिससे आग के कारणों का खुलासा नहीं हो पाता है, और कंपनी के मालिक सबकुछ मैनेज कर लेते हैं. इस सवाल के जवाब में डीआजी ने कहा यह गंभीर विषय है, उनका प्रयास रहेगा कि भविष्य में यदि ऐसे मामले आते हैं, तो विभागीय स्तर पर बुलेटिन जारी किया जाएगा.
उद्यमियों/ बिल्डरों को नसीहत
डीआईजी ने आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के वैसे उद्यम सोसायटी जो फायर सेफ्टी नॉर्म्स का पालन नहीं कर रहे है. उनके मालिकों और बिल्डरों को साफ तौर पर चेतावनी देते हुए कहा है, कि विभाग के अधिकारी कभी भी औचक नीरीक्षण के लिए जा सकते हैं. दोषी पाए जाने पर कार्रवाई के लिए तैयार रहें. उन्होंने मौके पर मौजूद अधिकारियों को नियमित अंतराल पर जांच करने का निर्देश दिया. साथ ही उन संस्थानों का भी जांच कर रिपोर्ट तलब किया जो फायर सेफ्टी किट तो लगा रखे हैं, मगर उन्हें ऑपरेट करने का संसाधन बहाल नहीं किया है. उन्होंने कहा सय एक गंभीर विषय है. क्योंकि यह एक इमर्जेसी सेवा है, इसके लिए संस्थानों को तीन पालियों में संसाधन रखना अनिवार्य है. जो संस्थान या उद्यम ऐसा नहीं करते हैं उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
हाईटेक होगा सिस्टम
डीआईजी ने कहा सरकार इस विभाग को हाईटेक करने की कवायद कर रही है. होमगार्ड के जवानों को इस विभाग में समायोजित करने की योजना चल रही है. साथ ही सभी दमकल की गाड़ियों में जीपीएम सिस्टम एक्टीवेट करने की योजना है. उन्होंने बताया कि सूचना मिलने के दो मिनट के भीतर फायर ब्रिगेड की टीम को घटनास्थल के लिए कूच करना है. यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो दंड के भागीदार होंगे. जीपीएस सिस्टम लगते ही विभागीय लापरवाही दूर होगी. उन्होंने बताया कि एक फायर सेफ्टी टीम में कम से कम तीन लोगों की जरूरत होती है. इसका भी ख्याल रखा जा रहा है. साथ ही 150 मीटर की उंचाई तक प्रभावित स्थल पर पहुंचकर रेस्क्यू करने के लिए जवानों को तैयार किया जा रहा है. फिलहान विभाग के पास ऐसे दो सिस्टम उपलब्ध हैं. जल्द ही राज्य के सभी जिलों में इसे उलब्ध कराने की योजना है.
इससे पूर्व डीआजी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. वे दिनभर फाईलों की जांच में जुटे रहे. उन्होंने कहा उनका अब नियमित दौरा होगा, ताकि विभागीय स्तर पर होनेवाली खामियों को दूर किया जा सके. साथ ही उन्होंने साफ संकेत दे दिया है, कि फायर सेफ्टी नियमों की अनदेखी करनेवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या वाकई झारखंड अग्निशमन विभाग के अधिकारी इस विभाग की महत्ता को मजबूत और प्रभावी बनाना चाहते हैं, या सब हवा- हवाई साबित होता है. क्योंकि जिस तरह से आदित्यपुर में उंचे- उंचे बहुमंजिले ईमारत बने हैं, उनमें 80 फीसदी फायर सेफ्टी नॉर्म्स का पालन नहीं कर रहे हैं. यही हाल इंडस्ट्रीज का भी है.
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दीपक कुमार सिन्हा (डीआईजी- हेड क्वार्टर अग्निशमन विभाग)
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