आदित्यपुर: नगर निगम के वार्ड 34 स्थित बाबाकुटी छठ घाट को उपायुक्त के निर्देश पर एसडीओ ने डेंजर जोन घोषित करते हुए दंडाधिकारी के साथ पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी है.
लोक आस्था के महापर्व के मौके पर पहली बार ऐसा देखा गया कि छठ व्रतियों को रोकने के लिए दंडाधिकारी और पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है. जिला प्रशासन के इस रुख से बाबाकुटी छठ घाट पर पहुंचनेवाले श्रद्धालुओं को घोर निराशा हुई है. वहीं स्थानीय लोगों में इसको लेकर खासी नाराजगी देखी गई. लोग जिला प्रशासन से वैसे लोगों पर कार्रवाई की मांग करते सुने गए जिनकी वजह से 56 लाख की लागत से बना छठ घाट बगैर उद्घाटन के ही धराशायी हो गया. लोगों में नगर निगम के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश देखा गया.
स्थानीय युवकों में इस बात को लेकर भी नाराजगी देखी गई कि अस्ताचलगामी अर्ध्य से ठीक एक दिन पहले उक्त घाट को आखिर क्यों डेंजर जोन घोषित किया गया. जब वे स्थानीय स्तर पर तैयारियां कर रहे थे उस वक्त नगर निगम प्रशासन क्यों सोया रहा. उपायुक्त के निरीक्षण के बाद निगम प्रशासन ने अचानक से ऐसा फैसला लिया जिसके लिए जिम्मेदार खुद निगम प्रशासन है. स्थानीय लोगों ने उपायुक्त से छठ घाट निर्माण में शामिल भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग की.
ड्यूटी पर तैनात दंडाधिकारी और पुलिसकर्मियों की सख्ती से निराश छठ व्रती और श्रद्धालु बुझे मन से दूसरे घाटों पर जाते नजर आए. वहीं लोगों में स्थानीय पार्षद के खिलाफ नाराजगी देखी गई. हालांकि शनिवार को उपायुक्त ने पार्षद प्रतिनिधि से व्रतियों को वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए व्रतियों को दूसरे घाटों पर शिफ्ट करने का निर्देश दिया था.
बता दें कि एक साल पूर्व करीब 56 लाख की लागत से बाबाकुटी छठ घाट का निर्माण कराया गया था. पिछले साल उद्घाटन से पूर्व छठ के दूसरे अर्ध्य के दिन ही घाट धराशायी हो गया था. एक साल बीतने के बाद भी नगर निगम प्रशासन ने इस गंभीर मुद्दे को गौण रखा मगर इस साल उपायुक्त के निरीक्षण में निगम में हुए भ्रष्टाचार की कलई खुल गई, मगर इसका खामियाजा छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं को उठाना पड़ा.