राष्ट्रीय स्वच्छ सर्वेक्षण में जमशेदपुर को भले बेहतर अंक मिले हैं, स्वच्छता सम्मान पाकर शहर पहुंचे अधिकारी भले अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, मगर जमशेदपुर के ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति स्वच्छ सर्वेक्षण की कहानी बयां करने और अधिकारियों को आईना दिखाने के लिए काफी है.
हम बात कर रहे हैं जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र के सोपोडेरा- सलगझाड़ी- बारीगोड़ा- राहड़गोड़ा मुख्य मार्ग की. स्वच्छ रैंकिंग में पूर्वी भारत में अव्वल आने का सम्मान पाने वाले अधिकारियों को जरा इस मार्ग पर भी आना चाहिए और यहां आकर अपनी पीठ थपथपानी चाहिए. जहां लोग दिन की शुरुआत गंदगी से बजबजाते नालों के बहते पानी से करते हैं और रात का समापन भी कुछ इसी तरह से करते हैं.
ऐसी बात नहीं है कि क्षेत्र के लोगों की स्थिति आज के आज बनी है. सरकारें आई और चली गई, मगर लाखों की आबादी की दिनचर्या भगवान भरोसे चल रही है. जनप्रतिनिधियों से लेकर सरकारी बाबुओं तक क्षेत्र के लोग अपनी फरियाद लगा चुके हैं, मगर सुनवाई के नाम पर आज तक कोरा आश्वासन ही मिला है.
क्षेत्र को जोड़ने वाला एकमात्र पुल जहां से ह्यूम पाइप के जरिए नाला बहता था. मगर नालों के जाम होने के कारण पानी अब सड़कों पर बह रहा है. पिछले 10 साल से लोग नारकीय जीवन जीने को विवश हैं, मगर सुध लेने वाला कोई नहीं. पिछली डबल इंजन की सरकार जहां क्षेत्र के लोगों को राहत नहीं दे सकी, वही वर्तमान जल- जंगल और जमीन वाली सरकार भी अब तक नाकाम साबित रही है.
ऐसे में स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग में अव्वल का सम्मान पाने वाले अधिकारियों को क्या सम्मान वापस नहीं लौटा देना चाहिए.