कांड्रा: आनन्द मार्ग स्कूल कांड्रा में आनन्द मार्ग प्रचारक संघ सरायकेला- खरसावां की ओर से बाबा नाम केवलम संकीर्तन, सत्संग एवं 21 नवम्बर को होने वाले 22 वें रक्तदान शिविर को सफल बनाने के लिए बैठक का आयोजन किया गया
. इस मौके पर आनन्द मार्ग प्रचारक संघ सरायकेला- खरसववां के भुक्ति प्रधान श्री जगदीश ने कहा कि जिस तरह एक स्वर्ण पत्र में भी यदा- कदा पॉलिस करने की जरूरत पड़ जाती है. देख भाल के अभाव में इसमें जमे धूल कणों और गंदगी से इसकी चमक फीकी पड़ जाती है. उसी तरह एक अच्छे व्यक्ति या साधक को भी लगातार बदलती दुनियां मे उचित देखभाल की जरूरत पड़ती है. अच्छी संगति रखना एकात्मक विकास के लिए अनिवार्य है. बुरी संगति आत्मा के बंधनों को मजबूत करती है जबकि अच्छी संगति मुक्ति में सहायक होती है. संस्कृत में इसे सत्संग कहते है. सत्संग दो तरह के होते है, बाह्य एवं आंतरिक. आंतरिक सत्संग परमपुरूष का सत्संग है. जब लोगों के बीच परम पुरूष की चर्चा की जाती है, तो उसको बाह्य सत्संग कहते है. इस मौके पर बाबा नाम केवलम संकीर्तन का आयोजन किया गया. उन्होंने कहा कि बाबा शब्द का अर्थ हुआ सबसे अधिक प्रिय, सबसे अधिक अपना, क्योंकि परम पुरुष सबके परम पिता है, इसलिए सारी सृष्टि उन्ही में अवस्थित है.
अणु मन का एकमात्र आधार है. एकमात्र मानस विषय है. हमारी बाहरी और भीतरी अस्तित्व का एकमात्र आश्रय है, इसलिए उनका नाम ही हमारे मन में, हमारी जिह्वा में, हमारे वाक्य यंत्र में, हमारे अस्तित्व की प्रत्येक द्योतना में अनुरनित होना चाहिए, यही मेरी धारणा है, और मेरी धारणा यह भी है, कि जिस तरह से भक्त लोग उनकी प्रिय संतान सन्ततियाँ बाबा नाम केवलम कीर्तन करते हैं, उसी तरह वे भी बाबा नाम केवलम कीर्तन करते हैं. इसलिए हमें सदा हरि कीर्त्तन करना चाहिए. उनकी बातों को सुननी चाहिए, इससे क्या लाभ है. जो सुनते हैं उनको भी लाभ है जो कीर्तन करते हैं उनको भी लाभ है. उनका मन पवित्र हो जाता है. इस कार्यक्रम में आनन्द मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम ग्लोबल सरायकेला- खरसावां द्वारा 20 नवम्बर को आनन्द मार्ग स्कूल कांड्रा में निःशुल्क मोतियाबिंद शिविर, एवं रक्तदान शिविर 21 नवम्बर को शान्ति राज नर्सिंग होम कांड्रा में होगा. जिसको सफल बनाने का संकल्प लिया गया. इस मौके गोपाल बर्मन गौतम महतो, सागर कुमार वर्मा राहुल रजक, वी सुदर्शन इत्यादि मौजूद थे.