गया: कोरोना के घटते प्रभाव के साथ ही बिहार के गया जिले के अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल बोधगया और इसके आसपास अवस्थित बौद्ध स्थलों पर धार्मिक गतिविधियां शुरू होने लगी है। इसी कड़ी में भगवान बुद्ध की तपस्या स्थली ढूंगेश्वरी पहाड़ के निकट अवस्थित एक बौद्ध मठ में 10 दिनों तक चलने वाला माइंड रिट्रीट मेडिटेशन आरंभ हुआ है। जिसमें बौद्ध भिक्षुओं के अलावे देश के कोने-कोने से आए बौद्ध श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। उरुवेला फॉरेस्ट मेडिटेशन सेंटर नाम का यह बौद्ध मठ उसी ढूंगेश्वरी पहाड़ के पास है, जिसके गुफा में भगवान बुद्ध ने 6 वर्षों तक कठिन तपस्या किया था। इस दौरान उनका शरीर काफी कमजोर हो गया था। यहां से वे बोधगया की ओर प्रस्थान किए थे। बोधगया पहुंचकर वे पुनः एक पीपल वृक्ष के नीचे ध्यान लगा कर बैठे। जहां पर उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था।
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इस बौद्ध मठ के भिक्षु इंचार्ज भंते चंद्रमुनि ने बताया कि दुनिया में हर तरह का विकास हो रहा है। जैसे आर्थिक विकास, राजनीतिक विकास और संसाधनों का विकास, लेकिन मन का विकास भी उतना ही आवश्यक है और जिसके लिए साधना ही एकमात्र विकल्प है। यहां पर जो माइंड रिट्रीट मेडिटेशन कैंप प्रारंभ हुआ है उसमें दिल्ली, हरियाणा,महाराष्ट्र, तमिलनाडु सहित विभिन्न राज्यों से आए सैकड़ों श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म में ढुङ्गेस्वरी स्थल का बहुत ही महत्व है। बोधगया में ज्ञान प्राप्त करने से पूर्व भगवान बुद्ध ने भी इस स्थल पर एक गुफा में 6 वर्ष तक तपस्या की थी। ऐसे में बौद्ध श्रद्धालु यहां आकर मेडिटेशन करते हैं, जिससे उनको शांति की प्राप्ति होती है। हर व्यक्ति को मेडिटेशन करना चाहिए। इससे मन और चित्त शांत रहता है। मन और चित्त शांत रहने से मनुष्य दूसरों के साथ ही अच्छा बर्ताव करता है और जीवन में खुश रहता है। उन्होंने कहा कि मेडिटेशन के दौरान हम लोग कोरोना की समाप्ति के लिए भी विशेष प्रार्थना कर रहे हैं। ताकि जल्द से जल्द पूरी दुनिया से कोरोना का खात्मा हो जाए और पूरे विश्व में शांति हो।
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भंते चंद्रमुनि (बौद्ध भिक्षु)
गया से प्रदीप कुमार सिंह की रिपोर्ट