गया: पूरे विश्व में पितरों के उद्धार के लिए गया धाम को सर्वश्रेष्ठ तीर्थ स्थल माना गया है. सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार पितरों का पिंडदान करने वालों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसे में गया धाम की महत्ता और बढ़ जाती है.
वैसे तो पिंडदान करने के लिए गया शहर में कई पिंड वेदियां है, लेकिन उत्तर मानस पिंड वेदी पर पिंडदान करने का अलग ही महत्व है.
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स्थानीय पंडा अरुण कुमार मिश्र बताते हैं कि पितृपक्ष के तीसरे दिन उत्तर मानस पिंड वेदी पर पिंडदान करने का प्रावधान हैं. ऐसी मान्यता है कि उत्तर मानस पिंड वेदी पर पिंडदान करने से पितरों को सूर्य लोक की प्राप्ति होती है. उत्तर मानस पिंड वेदी को पिता महेश्वर पिंड वेदी के नाम से भी जाना जाता है. यह पिंड वेदी प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर से 2 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में फल्गु नदी के तट पर स्थित है. उत्तर मानस पिंड वेदी 5 गुणों का सरोवर है. जिसके तट पर तर्पण और श्राद्ध कर्म कांड किया जाता है. ऐसा माना जाता है, कि यहां श्राद्ध कर्म कांड करने के उपरांत यहां के तालाब के उत्तर भाग में सूर्य भगवान के दर्शन करने से पितर सूर्य लोक को प्राप्त हो जाते हैं और उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस धार्मिक मान्यता का अनुसरण करते हुए प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालु उत्तर मानस पिंड वेदी पर अपने पितरों के उद्धार के लिए पिंडदान करते हैं.
अरुण कुमार मिश्र (स्थानीय पंडा)
वहीं झारखंड से पिंडदान करने आई शकुंतला देवी ने बताया कि अपने माता-पिता का पिंडदान करने के लिए हुए गयाजी पहुंची है. उत्तर मानुष पिंड वेदी पर पिंडदान करने का एक अलग ही महत्व है. यहां पिंडदान करने से पितरों का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है.
शकुंतला देवी (पिंडदानी- झारखंड निवासी)
गया से प्रदीप कुमार सिंह की रिपोर्ट

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