गम्हरिया: झारखंड में ओलचिकी को मान्यता देने और संथाली भाषा में पठन- पाठन के साथ ओलचिकी भाषा के शिक्षकों की बहाली की मांग को लेकर शनिवार को आदिवासी युवा महासभा गम्हरिया, आदिम डेवलपमेंट सोसाइटी, कटिया (चांडिल) और आदिवासी सुरक्षा परिषद की ओर से गम्हरिया प्रखंड परिसर में एकदिवसीय धरना- प्रदर्शन के माध्यम से सरकार को राज्य के शिक्षण संस्थानों में केजी से पीजी तक ओलचिकी भाषा में पठन- पाठन शुरू कराए जाने की मांग की है.
इस संबंध में जानकारी देते हुए भाजपा नेता और आदिवासी सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष रमेश हांसदा ने बताया कि दुमका में बसे ईसाई मिशनरियों के इशारे पर पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ओलचिकी भाषा को मान्यता नहीं दिया. उन्हीं के नक्शे कदम पर वर्तमान चंपई सोरेन सरकार चल रही है. कोल्हान प्रमंडल में संथाली भाषियों की संख्या लाखों में है, बावजूद इसके ना तो ओलचिकी शिक्षकों की बहाली हुई है, ना ही शिक्षण संस्थानों में ओलचिकी में पठन- पाठन किया जा रहा है, जो किताब प्रकाशित हुए हैं वह भी देवनागरी लिपि में हुए हैं. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री संथाल समुदाय के वोट से राजनीति के शिखर पर हैं, मगर संथाल युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. यदि जल्द से जल्द राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों में केजी से लेकर पीजी तक ओलचिकी भाषा में पठन- पाठन शुरू नहीं होती है तो आगामी विधानसभा चुनाव में इसे मुद्दा बनाकर जन-जन तक पहुंचाने का काम किया जाएगा.
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रमेश हांसदा (अध्यक्ष- आदिवासी सुरक्षा परिषद)