DESK REPORT सहारा, रोज वैली, आइकोर, कलकत्ता वायर, जेवीजी, हेलियस, बिजी लैंड, गोल्डन फॉरेस्ट, पीसीएल जैसी नन बैंकिंग सेक्टरों के संकट के बीच एकबार फिर से छोटे निवेशकों को लूटने के लिए कई नन बैंकिंग कंपनियों की बाढ़ आने लगी है. जिसपर सरकार अथवा संबंधित एजेंसियां खामोश है जिससे एकबार फिर से निवेशकों की गाढ़ी कमाई खतरे में है.
ये संस्थाएं एजेंटों के जरिये छोटे- छोटे समूहों के बीच लोन बांटने और फिर हफ्ता वसूली के रूप में कलेक्शन कराने से इस धंधे में उतरती है. धीरे- धीरे इनका व्यापक प्रचार- प्रसार हो रहा है. कहीं एक झटके में सरकार और संबंधित एजेंसियों का डंडा चला तो निवेशकों के समक्ष एकबार फिर से वैसी ही परिस्थिति उत्पन्न हो जाएंगी जैसी परिस्थिति सहारा, रोज वैली, आइकोर, कलकत्ता वायर, जेवीजी, हेलियस, बिजी लैंड, गोल्डन फॉरेस्ट, पीसीएल जैसी कंपनियों के निवेशकों के समक्ष हैं. सभी कंपनियों के मामले कोर्ट में दशकों से लंबित हैं. इन कंपनियों के मामले में न तो सरकारें दिलचस्पी लेती हैं न कोर्ट, बस तारीख पर तारीख के भरोसे इनके निवेशक न्याय की आस लिए या तो सड़क पर आ चुके हैं या दुनिया छोड़ चुके हैं.
यहां एक नई नन बैंकिंग कंपनी इन दिनों बाजार में अपनी पैठ बना रही है उसका नाम समृद्धि फाइनेंस है. इस कंपनी में ज्यादातर सहारा के अधिकारी और एजेंट जुड़े हैं. बेरोजगारी के इस दौर में मरता क्या न करता वाले कहावत को चरितार्थ करते हुए सहारा के एजेंट और अधिकारी उक्त संस्था से जुड़ जरूर रहे हैं मगर उन्हें आत्ममंथन करने की जरूरत है. साथ ही उक्त कंपनी में निवेश करनेवले निवेशकों को भी मंथन करने की जरूरत है. जब सहारा जैसी ताकतवर संस्था सिस्टम के आगे नतमस्तक हो चुकी है तो ऐसे संस्थानो का भविष्य कितना सुरक्षित है और इनके निवेशकों का निवेश कितना सुरक्षित रहेगा.