पाकुड़/ Jitendra Das नाबालिक लड़के का टोटा चलाना मजबूरी कहे या लापरवाही. एक तरफ तो जिला मुख्यालय के विभिन्न ग्रामीण मोहल्ले की सड़कें उबड़- खाबड़ है, इन सड़को पर नाबालिक लड़को का टोटो चलाना खतरों से खाली नही है. आम आदमी की समय तथा जिंदगी कीमती होती है. पर समय को बचाने के लिए लोग टोटो का इस्तेमाल करने में इजाफा समझ रहे है. परंतु समय बचाने के चक्कर मे जिंदगी भी जा सकती है.
करीब पांच वर्ष पूर्व कही आने- जाने के लिए निजी वाहन न होने पर लोग पैदल आना जाना करते थे, मगर अब हर गली मोहल्ला तक आने- जाने के लिए ये छोटी गाड़ी (टोटो ) का इस्तेमाल करने में काफी इजाफा हुआ है. लोग टोटो में आने- जाने को पंसद करने लगे है. परंतु टोटो चालक कम नाबालिक उम्र में चलाते है. जिससें हमेशा खतरा बना रहता है. कई बार शहर के विभिन्न जगहों सहित गांव मुहल्लों में अनियंत्रित होकर दुर्घटना हो चुका है.
सूत्रों की माने तो इन दिनों शहर में बिना रजिस्ट्रेशन के ही टोटो सड़कों पर दौड़ रही है. बिना रजिस्ट्रेशन के टोटो द्वारा कोई घटना होती है तो पुलिस पकड़ नही पाती है कि किस टोटो गाड़ी द्वारा दुर्घटना को अंजाम दिया गया है. प्रशासन कैसे एवं किस पर करवाई करेगी, यहां दर्जनो ऐसे टोटो है जिसका कोई कागजात नही है.
जबकि इसको लेकर जिला परिवहन विभाग द्वारा प्रचार- प्रसार कर बिना नंबर के टोटो चालको से टोटो का रजिस्ट्रेशन कराने को लेकर प्रेरित किया है. इसके बाबजूद भी टोटो चालको पर कोई प्रभाव नही है. उधर हिरणपुर प्रखंड में भी नाबालिक लड़को द्वारा टोटो चलाया जा रहा है. वही बिना रजिस्ट्रेशन के इसको लेकर प्रशासन को अभियान चलाने की जरूरत है.