DESK देश के चर्चित सहारा- सेबी विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तीसरे दिन भी सुनवाई नहीं हो सकी. जिससे निवेशकों को झटका लगा है.
मालूम को कि 9 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों द्वारा सहारा- सेबी विवाद पर सुनवाई हुई थी. उन्हीं जजों द्वारा ये आदेश पारित किया गया था कि 18, 19 एवं 20 अप्रैल को मामले पर फाइनल सुनवाई होगी. यह भी निर्धारित किया गया था कि किसी प्रकार का कोई विलंब नही होगा, न ही कोई व्यवधान आने दिया जाएगा.
मगर उक्त तिथि में निर्धारित तीन जजों में से एक सबसे वरिष्ठ जज संजीव खन्ना तीनो दिन यानी 18, 19 एवं आज यानी 20 अप्रैल को किसी अपरिहार्य कारण से उपस्थित नहीं हो सके. चूंकि उक्त सहारा- सेबी विवाद एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. इस कारण संभावना जताई जा रही है कि अगले सप्ताह उन्हीं तीन जजों द्वारा इस विवाद के समापन हेतु सुनवाई की जाएगी और इस विवाद का हल निकलेगा. वैसे इसकी कोई आधिकारिक जानकारी फिलहाल हमारे पास नहीं है. ऐसे में सभी की निगाहें अब फिर से सुप्रीम कोर्ट पर टिक गयी है.
बता दें कि सहारा- सेबी विवाद को लेकर करीब 10 करोड़ निवेशकों के लागभग 86000 करोड़ फंसे हैं. वहीं करीब 12 लाख एजेंटों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है. पिछले एक साल से काम पूरी तरह बंद पड़ा हुआ है. निवेशक सहारा के कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं. एजेंटों के समक्षभुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. बावजूद इसके इतने गंभीर मुद्दे पर न्यायपालिका की सुस्ती से निवेशकों एवं एजेंटों के बीच उहापोह की स्थिति बनी हुई है.
पांच हजार करोड़ को लेकर भी नहीं आया गाइडलाइंस
विदित हो कि पिछले दिनों भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट द्वारा सेंट्रल रजिस्ट्रार को भुगतान हेतु निर्गत कराए गए 5000 करोड़ के भुगतान हेतु किसी भी प्रकार के गाइडलाइंस अबतक जारी नहीं किए गए हैं. इसको लेकर भी समूह एवं निवेशकों के बीच दुविधा की स्थिति बनी हुई है. संभावना है कि बहुत जल्द सुप्रीम कोर्ट के प्रतिनिधि, सेंट्रल रजिस्ट्रार और प्रबंधन की बैठक के माध्यम से प्रक्रिया निर्धारित की जाएगी और उचित माध्यम से सभी मेंबर को सूचित किया जाएगा. केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा अगले 9 महीनों के अंदर चारों सोसाइटी के 10 करोड़ निवेशकों को 86000 करोड़ भुगतान की बात कही गई थी. साथ ही राज्य सभा में भी सरकार द्वारा उपरोक्त बातों का लिखित रूप से जवाब दिया गया है.
आखिर कब तक मिलेगा समाधान !
चर्चित सहारा- सेबी विवाद में करोड़ों निवेशकों को अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई के डूबने का खतरा सताने लगा है. इस विवाद की वजह से सैकड़ों निवेशकों एवं एजेंटों ने आत्महत्या कर ली. सहारा का हंसता- खेलता साम्राज्य ध्वस्त हो गया. करीब 12 साल से चले आ रहे इस विवाद का आखिर अंत कब होगा यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है. यूपीए- 2 से शुरू हुआ विवाद मोदी सरकार के दस साल बीतने तक जारी है. सड़क से लेकर सदन तक सहारा के निवेशकों की गूंज सुनाई दे रही है, मगर कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका मौन है.
2024 के आम चुनाव में सहारा- सेबी मुद्दा होगा अहम
2024 के आम चुनाव से पहले केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा सहारा- सेबी मामले को लेकर दिए गए बयान कई मायनों में अहम माना जा रहा है. हालांकि इससे निवेशकों की सेहत पर कितना फर्क पड़ेगा यह तो आने वाला समय बताएगा. इस विवाद को लेकर कई परिवारों के सपने उजड़ चुके है. कहीं केंद्रीय सहकारिता मंत्री के बयान एक बार फिर से चुनावी जुमला बनकर ना रह जाए. निवेशक इतनी बुरी तरह से टूट चुके हैं कि उन्हें हर हाल में उनके जीवन भर की कमाई गई गाड़ी कमाई चाहिए चाहे जैसे भी मिले.