सरायकेला/ Pramod Singh: नगर पंचायत उपाध्यक्ष सह सरायकेला विधानसभा कोर कमेटी के संयोजक मनोज कुमार चौधरी ने मरीज की शिकायत पर सोमवार को सदर अस्पताल का निरीक्षण किया. निरीक्षण के क्रम में अस्पताल की कुव्यवस्था देखकर नगर पंचायत उपाध्यक्ष बिफर गए और मौजूद नर्सिंग स्टाफ की जमकर क्लास लगाई.
उन्होंने बताया कि जिले का एकमात्र बड़ा अस्पताल सदर अस्पताल है, जो रेफरल अस्पताल की भूमिका निभा रहा है. छोटा- मोटा एक्सीडेंट हो या छोटी सी बीमारी, मरीज को कोल्हान का बीमार अस्पताल एमजीएम रेफर कर दिया जाता है.
उन्होंने कहा वर्तमान में सदर अस्पताल भारी कुव्यवस्था के दौर से गुजर रहा है. मरीज अस्पताल में नरक जैसे जीवन में जीने को मजबूर है. सुविधा की बात करने पर मरीजों से दुर्व्यवहार किया जाता है. महिला एवं पुरुष के सामान्य वार्डों में अधिकतर पंखे खराब है. मरीजों को बेडशीट नहीं मिल रही है, ना बाथरूम में कोई सुविधा है. दवा और अन्य उपकरणों की तो बात छोड़ ही दीजिए. आपातकालीन सेवा के समय भी डॉक्टर के साथ अधिकतर नर्सिंग स्टाफ स्टाफ रूम में आराम फरमाते हैं जिसका नतीजा रविवार को देखने को मिला. जहां एक मरीज को समय पर ऑक्सीजन और ट्रीटमेंट नहीं मिलने से जान चली गई.
अभी वर्तमान में सरायकेला के मरीज आरटीओ ऑफिस के ड्राइवर मिश्रा द्वारा शिकायत की गई कि मुझे सांस लेने में शिकायत हो रही है और मैं रात को 2:30 बजे सदर अस्पताल में एडमिट हुआ हूं, लेकिन यहां पर मुझे कोई भी सुविधा नहीं मिल रही है. सदर अस्पताल में ब्लड की भी काफी असुविधा है. यहां विभिन्न संस्थाओं द्वारा यहां के लोगों द्वारा रक्तदान कर रक्त मुहैया कराया जाता है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन रक्त को अन्यंत्र दूसरे अस्पतालों में ट्रांसफर कर देता है. 9 माह पहले सरायकेला स्वास्थ्य व्यवस्था में कीर्तिमान स्थापित करते हुए 6 आईसीयू बेड का उद्घाटन हुआ था. वर्तमान में 6 आईसीयू बेड में लगे करोड़ों रुपए के उपकरण खराब हो रहे हैं, और वे सदर अस्पताल की शोभा बढ़ा रहे हैं. सरकार और अस्पताल प्रबंधन बड़ी-बड़ी घोषणा करना छोड़ कम से कम मरीजों को सामान्य सेवा उपलब्ध कराने की दिशा में काम करें. अन्यथा आम पब्लिक को अस्पताल सौंप दें पब्लिक चंदा कर अस्पताल चलाने के लिए सक्षम है.